चुनाव आयोग की ओर से अपनाई गई प्रक्रियाओं पर पूर्ण संतुष्टि जताते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका खारिज कर दी। इसमें 2026 के प. बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले नागरिकता सत्यापन की नई प्रक्रिया लागू करने की मांग की गई थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे विधायी उपाय उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं और यह मामला चुनाव आयोग के दायरे में आता है।
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा सत्यापन तंत्र पर्याप्त हैं और नागरिकों मौजूदा कानूनी चैनलों के जरिये उम्मीदवारों के नामांकन पर आपत्ति उठा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री एवं बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के नेतृत्व में भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने 14 मार्च को दिल्ली में चुनाव आयोग से मिलकर फर्जी मतदाताओं के मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। भाजपा के बंगाल प्रभारी एव प्रतिनिधिमंडल के सदस्य अमित मालवीय ने दावा किया था कि राज्य में 13 लाख से अधिक डुप्लीकेट मतदाता हैं और 8,415 मतदाताओं के एपिक नंबर एक जैसे हैं।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने भी 6 मार्च को चुनाव आयोग से शिकायत की थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि भाजपा महाराष्ट्र और दिल्ली की तरह बंगाल में भी फर्जी मतदाता जोड़कर चुनावी हेराफेरी की कोशिश कर रही है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के हर जिले में मतदाता सूची में अनियमितताओं की जांच के लिए एक समिति गठित की थी। अदालत के फैसले के बाद अब चुनाव आयोग की मौजूदा प्रक्रियाएं ही मान्य रहेंगी।