बंगलूरू भगदड़ मामले में कर्नाटक सरकार ने पुलिस आयुक्त बी दयानंद को निलंबित किया है। इसके बाद सियासी बवाल मचा हुआ है। विपक्षी भाजपा लगातार कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार को घेर रही है। पुलिस आयुक्त के निलंबन ने सिद्धारमैया सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। आइए जानते हैं आगे क्या होने वाला है? पुलिस आयुक्त के निलंबन में सबसे बड़ा रोड़ा केंद्र सरकार बन सकती है। नियमों के मुताबिक केंद्र सरकार को पुलिस कमिश्नर के निलंबन को 30 दिन में मंजूरी देनी होती है। कर्नाटक में भाजपा अफसरों को बलि का बकरा बनाने पर सिद्धारमैया सरकार को घेर रही है। ऐसे में केंद्र सरकार पुलिस आयुक्त के निलंबन को मंजूरी न देकर पेच फंसा सकती है। सिद्धारमैया सरकार के फैसले के खिलाफ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के कई अधिकारी चले गए हैं। वे पुलिस आयुक्त का समर्थन कर रहे हैं। आईपीएस शीर्ष अफसरों ने भाजपा नेताओं से कहा है कि वे केंद्र से सिद्धारमैया सरकार द्वारा लिए गए फैसले को मंजूरी न देने की अपील करें। बंगलूरू के पूर्व पुलिस आयुक्त और भाजपा नेता भास्कर राव ने कहा कि सीएम सिद्धारमैया घबरा गए हैं। वह पार्टी से निलंबन मंजूरी को रद्द करने की मांग करेंगे। भास्कर राव ने कहा कि बंगलूरू पुलिस आयुक्त का निलंबन कर्नाटक पुलिस के इतिहास का सबसे काला दिन है। सच बोलने का इनाम। उन्होंने और उनकी टीम ने बंगलूरू को सुरक्षित रखने के लिए पूरी रात काम किया। सरकार की कार्रवाई से पुलिस बल का मनोबल प्रभावित हुआ है। गौरतलब है कि 4 जून को आईपीएल की विजेता टीम आरसीबी के जश्न कार्यक्रम के दौरान मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी। 56 लोग घायल हो गए थे।