Saturday, November 15, 2025

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प्रधानमंत्री कल करेंगे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार सम्मेलन का उद्घाटन, शुरू होगा एक लाख करोड़ रुपये का RDI फंड

नई दिल्ली। देश में अनुसंधान और नवाचार को नई दिशा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित होने वाले विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार सम्मेलन (Science and Technology Innovation Summit) का उद्घाटन करेंगे। इसी अवसर पर केंद्र सरकार देश के पहले अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (Research, Development and Innovation – RDI) फंड की भी औपचारिक शुरुआत करेगी, जिसकी कुल राशि एक लाख करोड़ रुपये होगी।

यह फंड भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और औद्योगिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, इस फंड का उद्देश्य देश में आत्मनिर्भर अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र’ तैयार करना है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर नवाचार-प्रधान अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर सके।

सम्मेलन में देश-विदेश के वैज्ञानिकों, उद्योग जगत के नेताओं, स्टार्टअप प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं के शामिल होने की संभावना है। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी नवाचार क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों और संस्थानों को सम्मानित भी करेंगे।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, RDI फंड से शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, स्टार्टअप्स और निजी उद्योगों को दीर्घकालिक वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसका लक्ष्य नई तकनीकों, हरित ऊर्जा, अंतरिक्ष अनुसंधान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव-प्रौद्योगिकी, और रक्षा नवाचार जैसे क्षेत्रों में स्वदेशी शोध और विकास को गति देना है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह फंड पांच वर्षों में चरणबद्ध रूप से लागू किया जाएगा। शुरुआती चरण में 20 हजार करोड़ रुपये की राशि तत्काल जारी की जाएगी, जिससे प्रमुख संस्थानों को प्राथमिक अनुसंधान परियोजनाओं के लिए सहायता दी जाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि भारत को 21वीं सदी में ज्ञान और नवाचार की शक्ति के बल पर विश्व का नेतृत्व करना होगा। उन्होंने कहा था कि सरकार का लक्ष्य है कि देश “इम्पोर्टर ऑफ टेक्नोलॉजी” से “एक्सपोर्टर ऑफ इनोवेशन” बने।

सम्मेलन में नीति आयोग, विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और प्रमुख IIT व IISc संस्थानों की भागीदारी होगी।

अधिकारियों का कहना है कि यह पहल न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि युवा शोधकर्ताओं और उद्यमियों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगी। इसके साथ ही भारत वैश्विक अनुसंधान निवेश मानचित्र पर एक मजबूत स्थान हासिल करेगा।

प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम देश के वैज्ञानिक समुदाय और उद्योग जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में भारत को वैज्ञानिक नवाचार की वैश्विक राजधानी बनाने की दिशा में निर्णायक कदम साबित हो सकता है।

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