केदारनाथ धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। इससे पूर्व गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज हो गया था। अब श्रीबदरीनाथ की यात्रा की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं, पर श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को साढ़े तीन माह बाद भी प्रदेश सरकार नया अध्यक्ष नहीं दे पाई है। निवर्तमान अध्यक्ष अजेंद्र अजय के कार्यकाल को पूरा हुये साढ़े तीन माह बीत चुके हैं। अध्यक्ष और बोर्ड की अनुपस्थिति में प्रशासक की तैनाती भी नहीं की गई है, ऐसे में यात्रा संचालन कैसे होगा, किसी के पास जवाब नहीं है। इस वर्ष 7 जनवरी को बीकेटीसी के निवर्तमान अध्यक्ष अजेंद्र अजय का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया था। तब, से प्रदेश सरकार बीकेटीसी के नये अध्यक्ष के लिए मंथन कर रही है, पर अभी तक किसी की ताजपोशी नहीं कर पाई है। सूत्रों की मानें तो विधायक अनिल नौटियाल, विधायक आशा नौटियाल, दायित्वधारी चंडी प्रसाद भट्ट सहित अन्य कई नामों पर चर्चा के बाद भी सहमति नहीं होने से अध्यक्ष की कुर्सी खाली पड़ी है।अध्यक्ष और बोर्ड गठन नहीं होने से बीकेटीसी की बोर्ड बैठक तक नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि मंदिर समिति के मामलों को सीधे शासन स्तर से निस्तारित किया जा रहा है। श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के एक्ट-1939 में सभी शक्तियां अध्यक्ष और बोर्ड को दी गई है। इन दोनों की अनुपस्थिति में कभी-कभार कमिश्नर या किसी उच्च अधिकारी को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाता है। लेकिन वर्तमान में बीकेटीसी के पास न तो अध्यक्ष है और न बोर्ड। साथ ही प्रशासक भी तैनात नहीं किया गयाहहै।
ऐसे में मुख्य कार्यधिकारी ही दौड़ाभागी कर रहे हैं, जो एक्ट के हिसाब से बड़े निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। हाल ही में बीकेटीसी के कर्मचारियों की सेवा नियमावली प्रख्यापित हुई है, जिसके बाद बाद अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार भी सीईओ के पास नहीं है। जबकि, बदरीनाथ व केदारनाथ की विकट भौगोलिक परिस्थितियों और कर्मचारियों की कमी के बीच बढ़ती यात्रा में भी सीईओ किसी अस्थायी कर्मचारी को नियुक्त नहीं कर सकता है।