वन निगम में दशकों से प्रकाष्ठ के गिल्टों के रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था में बदलाव होगा। अब वन निगम क्यूआर कोड के माध्यम से प्रकाष्ठ का डिजिटल रिकार्ड रखेगा। इसके लिए कोशिश शुरू हो गई है, प्रदेश में हल्द्वानी पूर्वी लौगिग प्रभाग में इसका पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।इसके अलावा आम लोग भी आसानी से और घर बैठे नीलामी में शामिल हो सकें, इसके लिए मोबाइल एप से नीलामी में शामिल होने की व्यवस्था लागू करने की तैयारी है।वन निगम प्रदेश में हर साल औसतन दो लाख घनमीटर से अधिक प्रकाष्ठ का कटान करता है, इससे औसतन 600 करोड़ तक राजस्व मिलता है। यूपी के समय से लेकर राज्य बनने के बाद वन निगम में पेड़ों के कटान से लेकर डिपो तक लकड़ी के गिल्टे पहुंचने का रिकार्ड मैनुअल रखने की व्यवस्था रही है।इसमें प्रपत्र भरने से लेकर लकड़ी के गिल्टों पर नंबर अंकित किया जाता है, इससे संबंधित गिल्टों को किस जंगल और रेंज का है, किस प्रजाति का है समेत अन्य जानकारी मिलती है। इन सबकी जानकारी को प्राप्त करने के लिए मैनुअल काम करना होता है, अगर कोई सचल संदेह होने पर जांच करे तो कागजों को पलटना होता है।
अब वन निगम तकनीक के माध्यम से डिजिटल रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था को लागू करने पर विचार कर रहा है। इसके तहत वन निगम गिल्टों पर क्यूआर कोड अंकित करेगा। इसमें लकड़ी से जुड़ी सभी जानकारी मसलन प्रजाति, रेंज, लंबाई आदि डिटेल आदि क्यूआर कोड को स्कैन करते हुए मिल जाएगी।