Saturday, July 27, 2024

Top 5 This Week

Related Posts

पूर्व चुनाव आयुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने वीवीपैट पर्चियों के मिलान और मतपत्रों से चुनाव की मांग खारिज करने संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि वर्तमान चुनाव प्रणाली अपने आप में संपूर्ण है। वीवीपैट पर्चियों के 100 फीसदी की मिलान की जरूरत भी नहीं है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने इस बात का उल्लेख किया कि चुनाव आयोग ने मतदाताओं का 99.99 फीसदी भरोसा सुनिश्चित करने के लिए 2017 में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आईएसआई) से संपर्क कर वीवीपैट और ईवीएम के सैंपल मिलान के बारे में कुछ सवाल पूछे थे। आईएसआई ने कहा था कि 10 लाख मतदान केंद्रों में से 479 वीवीपैट का मिलान के लिए पर्याप्त है। इसके आधार पर आयोग ने तय किया कि हर विधानसभा क्षेत्र के केंद्र का ईवीएम-वीवीपैट मिलान किया जाएगा। इस आधार पर वीवीपैट की संख्या 479 के उलट 4,300 पहुंच गई। जब कुछ राजनीतिक दलों ने इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो आयोग ने प्रति विधानसभा पांच मतदान केंद्र के वीवीपैट-ईवीएम का मिलान करना आरंभ किया और इस तरह यह संख्या बढ़कर 21 हजार हो गई। अब हम 479 के बदले 21 हजार मशीनों का मिलान कर रहे हैं। रावत ने यह भी कहा कि इस संख्या में और कोई भी वृद्धि मतदाताओं के भरोसे को 99.99 फीसदी से आगे नहीं ले जा सकती। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी ने कहा, जब जीतते हैं तो ईवीएम ठीक है लेकिन जब हारते हैं तो दोष ईवीएम पर आता है। उन्होंने कहा, यदि कोई व्यक्ति चावल पकाता है तो यह पता करने के लिए कि वह ठीक से पका है या नहीं, कुछ दानों को ही मसल कर देखा जाता है न कि पूरे पतीले को।

Popular Articles