Tuesday, February 4, 2025

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पूर्व और पश्चिम के पड़ोसियों के लिए हमारे अलग-अलग मानक

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को आईआईसी ब्रूगल के वार्षिक सम्मेलन में वैश्विक राजनीति में हो सिद्धांतों के गलत प्रयोग को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कि लोकतंत्र और सैन्य शासन के नाम पर सिद्धांतों का गलत प्रयोग किया जा रहा है। इसके लिए हमने अपने पूर्व और पश्चिम के पड़ोसियों के लिए अलग-अलग मानक लागू किए हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि जहां तक लोकतंत्र और सैन्य शासन का सवाल है, हमने पूर्व और पश्चिम के पड़ोसियों के लिए अलग-अलग मानक लागू किए गए हैं। मेरा यह कहना नहीं है कि सिद्धांत पूरी तरह से गलत है या हमें पूरी तरह से वास्तविक राजनीति में शामिल होना चाहिए, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता है कि एजेंडा कुछ लोगों द्वारा निर्धारित किया जाए और बाकी लोग केवल उसका पालन करें।उन्होंने कहा कि दुनिया में वर्तमान में दो बड़े संघर्ष हो रहे हैं। इन्हें अक्सर सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। हमें बताया जाता है कि विश्व व्यवस्था का भविष्य दांव पर है। फिर भी रिकॉर्ड दिखाता है कि इन सिद्धांतों को चुनिंदा और असमान रूप से लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में इतने दशकों के बाद भी खाली क्षेत्र में आक्रमण नहीं हुआ है। सुविधानुसार आतंकवाद को भी नजरअंदाज किया गया है। हमारे महाद्वीप में, अंतरराष्ट्रीय कानून की अवहेलना की गई है। इसके महत्वपूर्ण परिणाम हुए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अस्थिर और अनिश्चित दुनिया में भारत-यूरोपीय संघ के मजबूत संबंध एक महत्वपूर्ण स्थिरता कारक हो सकता है। भारत निश्चित रूप से पिछले कुछ वर्षों में यूरोप की अधिक रणनीतिक जागृति से परिचित है। यह भी गहन जुड़ाव के तौर पर काम कर सकता है। सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग में घनिष्ठ रक्षा में पहले से हमारे मजबूत संबंध हैं। इसलिए भारत-यूरोपीय संघ के संबंध पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। हाल के वर्षों में हमारा यूरोपीय आयोग के साथ अधिक गहन जुड़ाव हुआ है। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह और भी अधिक होगा।

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