सहयोगियों के दबाव में भाजपा ने वक्फ संशोधन विधेयक के प्रावधानों में कुछ समझौते तो किए, फिर भी विधेयक के कानून बन जाने का व्यापक असर होगा। खासतौर से एएसआई संरक्षित स्मारकों पर वक्फ का दावा एक झटके में खत्म हो जाएगा। इसके अलावा आदिवासी बहुल राज्यों और इलाकों में जमीन सहित अन्य संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं की जा सकेगी। इसके अलावा वक्फ की ऐसी संपत्ति जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है, उसको बचा पाना मुश्किल होगा। दरअसल संसद के दोनों सदनों में अपने दम पर बहुमत के अभाव में भाजपा को सहयोगियों की कुछ मांगों को स्वीकार करना पड़ा। इनमें विधेयक के कानून बनने की अधिसूचना जारी होने के पहले मस्जिद एवं अन्य धार्मिक स्मारकों, चिन्हों पर पूर्व की स्थिति बहाल रखने, जमीन संबंधी विवाद के निपटारे के लिए राज्य सरकार को जिला मजिस्ट्रेट के इतर अधिकारी नियुक्त करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। आदिवासियों के हित संरक्षण के संदर्भ में सरकार ने संविधान की 5वीं और 6ठी अनुसूचि का हवाला देते हुए आदिवासी इलाकों में वक्फ संपत्ति घोषित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका अर्थ है कि करीब-करीब पूरा पूर्वोत्तर, समूचे झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित देश के कई राज्यों के आदिवासी इलाकों की जमीन और संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा। वक्फ को अपनी संपत्तियां बचाने के लिए बड़ी जद्दोजहद करनी होगी। अकेले यूपी में ऐसी 90% संपत्तियां हैं, जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। बिहार में यह आंकड़ा 70% है। तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में ऐसे उदाहरणों की भरमार है। सूत्रों का कहना है कि वक्फ संपत्ति की बंदरबांट के लिए इसमें शामिल लोगों ने इसे राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं कराया। ऐसे में अब जिला मजिस्ट्रेट ऐसी संपत्तियों की जांच कर अपना फैसला देंगे। वक्फ कानून को लेकर केरल में मुसलमानों और ईसाइयों के बीच दशकों से खींचतान जारी थी। राज्य की सियासत वामदलों की अगुवाई वाली एलडीएफ और कांग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ के इर्दगिर्द घूमती रही है। तीसरी सियासी ताकत के अभाव में ये दोनों समुदाय इन्हीं दो गठबंधनों के इर्दगिर्द सिमटे हुए थे। हालांकि ईसाई समुदाय लंबे समय से वक्फ कानून में संशोधन की मांग कर रहा था।
राज्य में विस्तार की व्यापक संभावना देख रही भाजपा ने ऐसा कर ईसाई समुदाय में मजबूत पैठ बनाने की पहल की है। गौरतलब है कि सरकार के इस प्रयास का राज्य के ईसाई संगठनों ने खुल कर समर्थन किया है।