Sunday, April 27, 2025

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पीएम आज देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज पंबन की देंगे सौगात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के रामेश्वरम में आज दोपहर भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट समुद्री ब्रिज पंबन का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही वे राज्य में कई अन्य विकास परियोजनाओं की शुरुआत भी करेंगे। इस कार्यक्रम से पहले भारतीय रेल ने इस नए रेलवे ब्रिज का एक सुंदर वीडियो जारी किया है। रेलवे मंत्रालय ने कहा कि समुद्र के ऊपर बना यह रेलवे ब्रिज अतीत और भविष्य को जोड़ता है। इसे राम नवमी के दिन जनता के सामने पेश किया जाएगा और इस दौरान पीएम मोदी के वहां होने से रामेश्वरम में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दोपहर करीब 12 बजे प्रधानमंत्री नए पंबन रेलवे पुल को जनता को समर्पित करेंगे। वे रामेश्वरम से तांब्रम (चेन्नई) के बीच एक नई ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखाएंगे। साथ ही एक तटरक्षक जहाज को भी रवाना करेंगे। जैसे ही ब्रिज का वर्टिकल लिफ्ट हिस्सा ऊपर उठेगा, जहाज उसके नीचे से गुजरेगा और इस ब्रिज के परिचालन तकनीक का प्रदर्शन होगा। इसके बाद, लगभग 12:45 बजे पीएम रामेश्वरम के प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे। फिर दोपहर करीब 1:30 बजे वे 8,300 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे और सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे।

इन परियोजनाओं में एनएच-40 के 28 किलोमीटर लंबे वालाजापेट-रानीपेट खंड को चार लेन का बनाने के कार्य का शिलान्यास और एनएच-332 के 29 किलोमीटर लंबे विलुप्पुरम-पुडुचेरी खंड को चार लेन का बनाने का काम, एनएच-32 का 57 किलोमीटर लंबा पूंडियनकुप्पम-सत्तनाथपुरम खंड और एनएच-36 का 48 किलोमीटर लंबा चोलापुरम-तंजावुर खंड शामिल हैं। ये सड़कें तीर्थ स्थलों, पर्यटन स्थलों, शहरों, मेडिकल कॉलेजों और बंदरगाहों को बेहतर ढंग से जोड़ेंगी। ये स्थानीय किसानों को बाजार तक पहुंचने में मदद करेंगी और चमड़ा व लघु उद्योगों को बढ़ावा देंगी। इस पंबन ब्रिज का सांस्कृतिक महत्व भी है। रामायण के अनुसार, भगवान राम की सेना ने राम सेतु का निर्माण रामेश्वरम के नजदीक धनुषकोडी से शुरू किया था। नया पंबन रेलवे ब्रिज रामेश्वरम द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और यह वैश्विक मंच पर भारतीय इंजीनियरिंग की एक बड़ी उपलब्धि है। इसकी लागत 550 करोड़ रुपये से अधिक है। यह ब्रिज 2.08 किलोमीटर लंबा है। इसमें 99 स्पैन (खंभों के बीच की दूरी) हैं और इसका लिफ्टिंग हिस्सा 72.5 मीटर लंबा है, जो 17 मीटर ऊंचाई तक उठ सकता है। इससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकते हैं और ट्रेन सेवा भी बिना बाधा जारी रह सकती है। ब्रिज को मजबूत बनाने के लिए इसमें स्टेनलेस स्टील, विशेष सुरक्षात्मक पेंट और वेल्डेड जोड़ का इस्तेमाल किया गया है। इससे इसकी ताकत और उम्र बढ़ गई है। भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें दो रेलवे ट्रैक की व्यवस्था की गई है। समुद्री हवा से होने वाले जंग से बचाव के लिए इसमें खास पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है।

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