Saturday, April 26, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

पायलटों के लिए भयावह हो सकते थे परिणाम

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि यमन में हूती विद्रोहियों पर 15 मार्च को किए गए हमले की कोई गोपनीय जानकारी लीक नहीं हुई थी। लेकिन एक अमेरिकी पत्रिका ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में इस दावे को गलत ठहराया।  ‘द अटलांटिक’ पत्रिका ने लीक हुई चैट के पूरे टेक्सट और स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमे पता चला कि हमले से दो घंटे से ज्यादा समय पहले ही बमबारी की सटीक जानकारी सामने आ चुकी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि यह जानकारी अगर गलत हाथों में पड़ जाती, तो अमेरिकी पायलटों और अन्य सैन्यकर्मियों की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता था। दरअसल, मैसेजिंग एप्प ‘सिग्नल’ पर एक ग्रुप चैट में ‘द अटलांटिक’ के प्रधान संपादक जेफ्री गोल्डबर्ग को भी गलती से जोड़ लिया गया था। इस ग्रुप में बमबारी की योजना पर चर्चा हो रही थी। ग्रुप में अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, सीआईए के निदेशक जॉन रैटक्लिफ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज, विदेश मंत्री मार्को एंटोनियो रुबियो और खुफिया निदेश तुलसी गबार्ड सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

रिपोर्ट में बताया गया कि रक्षा मंत्री हेगसेथ ने पहले कहा था कि युद्ध की किसी योगना को मैसेज में साझा नहीं किया गया था। लेकिन जब ट्रंप प्रशासन ने ‘द अटलांटिक’ पर झूठ बोलने का आरोप लगाया, तो पत्रिका ने पूरी चैट को सार्वजनिक करने का फैसला किया। रिपोर्ट के मुताबिक, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट ने कहा कि इसमें कोई गोपनीय जानकारी नहीं थी, लेकिन हम इस चैट को प्रकाशित करने का समर्थन नहीं करते। यह उच्च-स्तरीय अधिकारियों के बीच एक निजी चर्चा थी, जिसमें संवेदनशील जानकारी थी।  पत्रिका ने कहा कि विशेषज्ञों ने कई बार चेतावनी दी थी कि चैट के लिए ‘सिग्नल’ का उपयोग इतनी संवेदनशील चर्चाओं को करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। जेफ्री गोल्डबर्ग को बमबारी की योजना की जानकारी दो घंटे से पहले ही मिल गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यह जानकारी (खासतौर पर अमेरिकी विमानों के यमन के लिए उड़ान भरने का सटीक समय) गलत हाथों में चली जाती, तो अमेरिकी पायलटों और सुरक्षाकर्मी और भी बड़े खतरे में पड़ सकते थे।

Popular Articles