मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में पाकिस्तान में अपने खिलाफ चले कानूनी मामले पर बात की। यह मामला फेसबुक पर साझा की गई एक पोस्ट से जुड़ा था, जिसे पाकिस्तान में ईशनिंदा माना गया। जो रोगन के पॉडकास्ट में जुकरबर्ग ने बताया कि इस मामले में उन्हें पाकिस्तान में मौत की सजा तक देने की मांग उठी थी।उन्होंने कहा, ‘कुछ देशों में ऐसे कानून हैं, जिनसे हम सहमत नहीं होते। एक समय था जब पाकिस्तान में किसी ने मेरे खिलाफ केस किया था क्योंकि फेसबुक पर किसी ने पैगंबर मोहम्मद का एक चित्र साझा किया था। वहां इसे ईशनिंदा माना गया और मेरे खिलाफ आपराधिक मुकदमा चला। मुझे नहीं पता कि यह मामला कहां तक पहुंचा, क्योंकि मैं पाकिस्तान जाने की योजना नहीं बना रहा था, इसलिए ज्यादा चिंता नहीं की।’मार्क जुकरबर्ग ने यह भी बताया कि दुनियाभर में सरकारें टेक कंपनियों पर कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए दबाव बना रही हैं। उन्होंने कहा, कुछ देशों के कानून हमारे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल्यों से मेल नहीं खाते। वे चाहते हैं कि हम बहुत सारी चीजें हटा दें, जिन्हें हम गलत नहीं मानते। अगर सरकारें टेक कंपनियों के सीईओ को जेल में डालने की धमकी देंगी, तो यह बड़ा मुद्दा बन जाएगा।’
इससे पहले, 7 जनवरी को मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक और इंस्टाग्राम के फैक्ट-चेकिंग सिस्टम को हटाकर ‘कम्युनिटी नोट्स’ नाम के नए मॉडल को अपनाने की घोषणा की। उनका कहना था कि पुराने सिस्टम में बहुत ज्यादा गलतियां और राजनीतिक पक्षपात था। बता दें कि, डोनाल्ड ट्रंप की 2024 में जीत के बाद जुकरबर्ग ने मार-ए-लागो में उनसे मुलाकात की और मेटा ने डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के लिए 1 मिलियन डॉलर का दान भी दिया।