Saturday, June 28, 2025

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पाकिस्तान बना रहा अमेरिका तक मार करने वाली मिसाइल: ट्रंप प्रशासन सतर्क, चीन से मिल रहा तकनीकी सहयोग

पाकिस्तान की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) विकसित करने की कोशिशों ने अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट मोड पर ला दिया है। अमेरिकी पत्रिका फॉरेन अफेयर्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान चीन की मदद से ऐसी मिसाइल तकनीक विकसित कर रहा है जो अमेरिका जैसे सुदूर देशों तक मार करने में सक्षम होगी।

इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) वे मिसाइलें होती हैं जिनकी कम से कम मारक दूरी 5,500 किलोमीटर होती है और कुछ मिसाइलें 16,000 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेदने में सक्षम होती हैं। इनका उपयोग आमतौर पर परमाणु हथियारों को ढोने के लिए किया जाता है, हालांकि इन्हें पारंपरिक, रासायनिक या जैविक हथियारों से भी लैस किया जा सकता है।

ICBM को जमीन से, मोबाइल ट्रकों से, सबमरीन या ट्रेनों से भी लॉन्च किया जा सकता है। अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों के पास यह तकनीक पहले से ही मौजूद है। अगर पाकिस्तान इस क्लब में शामिल होता है, तो वह दक्षिण एशिया का ऐसा पहला देश होगा जिसके पास यह शक्ति होगी।

रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान लंबे समय से ICBM तकनीक की तलाश में है, और इस दिशा में उसे चीन से महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है।

  • दिसंबर 2024 में अमेरिका ने चार कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे, जिनमें पाकिस्तान की सरकारी रक्षा कंपनी नेशनल डिफेंस कॉम्प्लेक्स (NDC) भी शामिल थी।
  • इन पर आरोप था कि वे ICBM निर्माण के लिए जरूरी सामग्री और तकनीक मुहैया करा रही हैं।

इसके अतिरिक्त, अमेरिका ने कुछ चीनी कंपनियों पर भी इस कार्यक्रम में सहयोग देने के चलते कार्रवाई की थी।

अमेरिका के तत्कालीन प्रधान डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने 2024 में बयान दिया था कि पाकिस्तान ICBM तकनीक को अमेरिका तक पहुंचने के उद्देश्य से विकसित कर रहा है।

  • उन्होंने चेताया था कि इस मिसाइल की मारक क्षमता 10,000 किलोमीटर या उससे अधिक हो सकती है, जो दक्षिण एशिया से अमेरिका तक के फासले को कवर करती है।
  • सैटेलाइट तस्वीरों और खुफिया जानकारी से संकेत मिले थे कि पाकिस्तान बड़ी रॉकेट मोटर टेस्टिंग की दिशा में तेजी से काम कर रहा है।

भारत पहले ही 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मारक क्षमता रखने वाली अग्नि-V मिसाइल विकसित कर चुका है, लेकिन ICBM श्रेणी में उसकी तकनीक सीमित है। भारत अपनी नीतियों में ‘नो फर्स्ट यूज़’ (पहले हमला नहीं) की नीति अपनाता है। पाकिस्तान का यह प्रयास क्षेत्रीय संतुलन को अस्थिर कर सकता है।

अब तक पाकिस्तान की ओर से ICBM परियोजना को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। न ही उसने अमेरिका या चीन के आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया दी है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमताओं को विस्तार देने की कोशिशों में लंबे समय से लगा है और ICBM तकनीक उस दिशा में अगला कदम हो सकता है।

 

पाकिस्तान की ICBM परियोजना, अगर सफल होती है, तो यह सिर्फ दक्षिण एशिया ही नहीं बल्कि वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकती है। ट्रंप प्रशासन और अमेरिकी रक्षा एजेंसियां इस घटनाक्रम पर बारीकी से निगरानी रख रही हैं। ऐसे में आने वाले समय में कूटनीतिक दबाव, तकनीकी निगरानी और सामरिक संतुलन की रणनीतियां और तेज हो सकती हैं।

चीन की मदद से पाकिस्तान की नई सैन्य चाल – अमेरिका तक पहुंचने वाली मिसाइल पर दुनिया की निगाहें”

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