राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी की करारी हार के साथ वोट प्रतिशत से जुड़ी गारंटी का रिकॉर्ड भी टूटा। दिल्ली में अब तक हुए नौ विधानसभा चुनावों में 40 फीसदी से अधिक वोट जीत की गारंटी होते थे, लेकिन पहली बार आप 43.57 फीसदी वोट के बाद भी सत्ता हासिल नहीं पाई। भाजपा ने आप से दो फीसदी अधिक 45.56 फीसदी वोट हासिल कर मैदान मार लिया। बीते आठ विधानसभा चुनाव की बात करें तो हर चुनाव में 40 फीसदी से अधिक वोट लाने वाले दल की सरकार बनी है। मसलन 1993 में पहली बार जीत का स्वाद चखने वाली भाजपा को 47.83 फीसदी वोट और 49 सीटें मिली थी। उसके बाद साल 1998, 2003, 2008 में सत्ता कांग्रेस के हाथ रही। इन चुनावों में कांग्रेस को क्रमश: 47.76 फीसदी, 48.13 फीसदी और 40.31 फीसदी वोट मिले। इस दौरान उसे लगातार तीन बार बहुमत मिला। उसकी सीटों की संख्या क्रमश: 49, 47 और 43 रही। दिल्ली के चुनावी इतिहास में महज एक बार ही मतदाताओं ने त्रिशंकु जनादेश दिया। पहली बार मैदान में उतरी आप ने तस्वीर बदल कर रख दी। तब एक भी दल 40 फीसदी वोटों का आंकड़ा पार करने में विफल रहा। 2013 के इस चुनाव में भाजपा को 33 फीसदी वोट और 32 सीटें, कांग्रेस को 24.6 फीसदी वोट और 8 सीटें तो आप को 29.5 फीसदी वोट और 28 सीटें मिली थी। तब कांग्रेस ने केजरीवाल को बाहर से समर्थन दिया था, मगर यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई।