जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते 22 अप्रैल को हुआ नृशंस आतंकी हमला देश-दुनिया में लगातार चर्चा और चिंता का कारण बना हुआ है। इस आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले दहशतगर्दों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सजा ऐसी मिलेगी जिसकी आतंकियों ने कल्पना भी नहीं की होगी। अब ताजा घटनाक्रम में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पहलगाम हमले को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने पूछा है कि क्या पहलगाम की आतंकी वारदात के पीछे देश विभाजन (1947 में हुए भारत पाकिस्तान बंटवारे) के अनसुलझे सवालों का प्रतिबिंब दिखाई देता है? मणिशंकर अय्यर ने यह टिप्पणी एक पुस्तक विमोचन के दौरान की। इस समारोह में देश के सेवानिवृत्त नौकरशाह और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) वजाहत हबीबुल्लाह, जम्मू-कश्मीर के पहले राज्यपाल डॉ कर्ण सिंह जैसी हस्तियां भी मौजूद रहीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अय्यर ने कहा, उस समय देश के सामने जो प्रश्न था और आज भी वही प्रश्न है। क्या भारत में मुसलमान खुद को स्वीकार्य, पोषित और सम्मानित महसूस करते हैं? प्रवीण डावर की पुस्तक ‘ही ऑलमोस्ट प्रिवेंटेड पार्टिशन-द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ डॉ. एमसी डावर’ (He Almost Prevented Partition-The life and times of Dr MC Davar) के विमोचन के समय अय्यर ने कहा, कई लोगों ने विभाजन को लगभग रोक दिया था, लेकिन ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि देश के मूल्यों और भारत की राष्ट्रीयता की प्रकृति और इसकी सभ्यतागत विरासत के आकलन में तत्कालीन दिग्गजों की राय अलग-अलग थी। अय्यर ने कहा कि महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और कई अन्य मुसलमान की राय अलग थी। जिन्ना और इन लोगों के बीच मतभेद थे।
अय्यर ने कहा, तमाम लोगों की राय अलग होने के बावजूद सच्चाई यही है कि बंटवारा हुआ और आज तक हम उस विभाजन के परिणामों के साथ जी रहे हैं। सवाल यह है कि क्या हमें इसी तरह जीना चाहिए? क्या 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए नृशंस आतंकी हमला बंटवारे के अनसुलझे सवालों के रूप में सामने आया है। उन्होंने कहा कि 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद उपमहाद्वीप में मुसलमानों का रक्षक बनने का पाकिस्तान के सपने पर पानी फिर गया। बांग्लादेश अलग देश बन गया।