Tuesday, August 5, 2025

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पंचायत चुनाव: कांग्रेस ने गंवाया मौका, भाजपा भी बमुश्किल पास

त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में उत्तराखंड की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों—भाजपा और कांग्रेस—के लिए परिणाम मिश्रित रहे। हालिया निकाय चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस इस बार अपेक्षा के अनुरूप नहीं उतर सकी, जबकि भाजपा को भी स्पष्ट बढ़त नहीं मिली, और वह बमुश्किल ‘ग्रेस मार्क्स’ से पास मानी जा रही है।
कांग्रेस की रणनीतिक चूक
निकाय चुनावों में नैनीताल, भवाली, और भीमताल जैसे क्षेत्रों में कांग्रेस को जीत मिली थी, जिससे उम्मीदें बढ़ गई थीं। बावजूद इसके, पार्टी ने पंचायत चुनावों में पूरी ताकत नहीं झोंकी। 27 जिला पंचायत सीटों में कांग्रेस ने केवल 8 पर प्रत्याशी उतारे और इनमें से केवल 2 ही जीत सके। रामनगर की तीनों सीटों पर भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा का सीमित प्रदर्शन
भाजपा ने 23 जिला पंचायत सीटों पर प्रत्याशी उतारे, जिनमें से सिर्फ 8 पर जीत हासिल कर सकी—जीत का प्रतिशत रहा 34.78%। यहां तक कि हल्द्वानी में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया को भी हार का सामना करना पड़ा, जो पार्टी के लिए बड़ा झटका था।
बागियों और डर की राजनीति
जहां भाजपा को बागियों ने मुश्किल में डाला, वहीं कांग्रेस पंचायत चुनावों में खुलकर उतरने से ही घबराई दिखी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस की निष्क्रियता ने उसे बढ़त लेने से रोक दिया।

भाजपा के पास बहुमत, आगे की रणनीति तय
हालांकि जिला पंचायत सीटों के लिहाज से भाजपा को सीमित सफलता मिली, फिर भी समग्र रूप से ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पदों पर पार्टी समर्थित उम्मीदवारों की संख्या अधिक रही।
राज्य की 66 जिला पंचायतों में बहुमत भाजपा के पक्ष में है, जिससे पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर आत्मविश्वास में है। संगठन ने भविष्य की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।

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