असम के दीमा हसाओ जिले में छह जनवरी से फंसे आठ खनिकों को बचाने के लिए शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन पानी निकालने का काम जारी रहा। इसी बीच मामले में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि इस खदान को 12 साल पहले बंद घोषित किया गया था और यह अवैध नहीं है जैसा पहले संदेह था।कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान सीएम सरमा ने कहा कि छह जनवरी के दिन खदान में पहली बार कोयला निकालने के लिए मजदूर घुसे थे (जब खदान को बंद घोषित कर दिया गया था)। उन्होंने कहा कि खदान 12 साल पहले बंद कर दी गई थी और तीन साल पहले तक यह कानूनी तौर पर असम खनिज विकास निगम के अधीन थी।साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सोमवार को खदान में पानी भर जाने के बाद भागने वाले श्रमिकों के मुखिया को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक, नेपाल के एक मजदूर का शव खदान से निकाला गया है। हालांकि खदान 340 फीट गहरी है और सेना तथा नौसेना के गोताखोर लगातार दूसरे दिन भी पानी निकालने के काम के कारण खदान में नहीं जा सके।सीएम सरमा ने कहा कि पानी निकालने के बाद ही बचाव अभियान में सफलता की उम्मीद है। इसके लिए एक नई मशीन नागपुर से लाई गई है, जो शनिवार से काम शुरू करेगी। अगर यह मशीन ठीक से काम करती है तो पानी शाम तक साफ हो सकता है अन्यथा पिछले दो दिनों से काम कर रही मशीन से पानी निकालने का काम जारी रहेगा।
बता दें कि गुवाहाटी से करीब 250 किलोमीटर दूर उमरंगसो इलाके की 3 किलो कोयला खदान में अचानक पानी भर जाने के कारण नौ मजदूर फंस गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में एक केस दर्ज किया गया है और खदान अवैध प्रतीत होती है। बचाव कार्य में सेना नौसेना, असम राइफल्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और नागरिक प्रशासन की टीमें लगी हुई हैं।