नेपाल में तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। केपी शर्मा ओली की सरकार को सत्ता से बेदखल करने वाले जेन-जी समूह ने अब अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदर्शनकारियों ने उन पर मंत्रिमंडल गठन में मनमानी करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की मांग की है।
रविवार देर रात, सामाजिक कार्यकर्ता सुदन गुरुंग के नेतृत्व में जेन-जी समर्थकों का एक बड़ा समूह बलुवतार स्थित प्रधानमंत्री आवास के बाहर जुटा और सरकार विरोधी नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने खासतौर पर ओमप्रकाश अर्याल को गृह मंत्री बनाए जाने का विरोध किया। उनका कहना है कि इतने अहम पद पर “बाहरी सूत्रधार” को बिठाना जनता के साथ धोखा है।
गुरुंग ने चेतावनी देते हुए कहा, “आपको प्रधानमंत्री बनाने में हमारा हाथ है और अगर हालात ऐसे ही रहे तो आपको और आपके सहयोगियों को हटाने में देर नहीं लगेगी। हम सड़कों पर लौटे तो हमें कोई नहीं रोक पाएगा।”
कार्की के प्रधानमंत्री बनने की पृष्ठभूमि
12 सितंबर को सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं। उनका चयन राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, सेना के शीर्ष अधिकारियों और आंदोलन का नेतृत्व कर रहे युवाओं के बीच हुई बैठक के बाद किया गया था।
कार्की का कार्यकाल देश में फैली राजनीतिक अस्थिरता और व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच शुरू हुआ। ओली सरकार को सोशल मीडिया बैन के खिलाफ भड़के जनआंदोलन और लगातार हिंसा के चलते इस्तीफा देना पड़ा था।
जेन-जी की मांगें
जेन-जी समूह का कहना है कि उनकी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है और वे भाई-भतीजावाद तथा राजनीतिक अव्यवस्था को खत्म करने के लिए आंदोलनरत हैं। उनका दावा है कि अगर अंतरिम सरकार ने जनता की अपेक्षाओं के खिलाफ फैसले लिए, तो आंदोलन और तेज होगा।
नेपाल की राजनीति इस समय अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। एक ओर नई अंतरिम सरकार को स्थिरता स्थापित करने की चुनौती है, वहीं दूसरी ओर वही समूह जिसने ओली सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी, अब उसके खिलाफ सड़कों पर उतर आया है।





