प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति आयोग) की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस बैठक में 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री ने बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए बैठक से किनारा किया है। इसे लेकर सियासी हंगामा बढ़ता जा रहा है। वहीं, भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री के लिए ‘देश’ पहले है, लेकिन इंडी गठबंधन के लिए नफरत सबसे पहले आती है। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन भी उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जो नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट भाजपा का बहिष्कार करने वाले राज्यों और लोगों के प्रति प्रतिशोध की कार्रवाई जैसा प्रतीत होता है। उन्होंने इंडी गठबंधन को वोट देने वालों से बदला लेने के लिए बजट तैयार किया है। केंद्र की भाजपा सरकार लगातार तमिलनाडु की उपेक्षा कर रही है।’ बैठक का बहिष्कार करने पर भाजपा नेता सीआर केसवन ने कांग्रेस और विपक्षी मुख्यमंत्रियों पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘अड़ंगा डालने वाला विपक्ष शर्मनाक बहिष्कार के साथ खतरनाक और विभाजनकारी संघवाद में लिप्त है। वे सहकारी संघवाद की मूल भावना को धोखा दे रहे हैं। अच्छाई को खत्म कर रहे हैं और संबंधित राज्यों तथा लोगों को राजनीतिक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश करके उनके हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह न केवल गैर-जिम्मेदाराना या अस्थिर है, विपक्ष का व्यवहार अलोकतांत्रिक है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुटिल कांग्रेस तथा इंडी गठबंधन के बीच बुनियादी अंतर यह है। प्रधानमंत्री के लिए ‘देश’ पहले है, लेकिन इंडी गठबंधन के लिए नफरत सबसे पहले आती है। जबकि प्रधानमंत्री मतभेदों को दूर करने और यह सुनिश्चित करने के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारे लोगों की भलाई सुरक्षित रहे। वहीं, विपक्ष व्यवधान और विभाजन की टकरावपूर्ण और नकारात्मक राजनीति खेल रहा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।’





