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देश का पहला मेडिकल परमाणु रिएक्टर विशाखापत्तनम में लगेगा, कैंसर इलाज में आएगी नई क्रांति

नई दिल्ली / विशाखापत्तनम।
भारत के स्वास्थ्य और विज्ञान क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने देश का पहला मेडिकल परमाणु रिएक्टर (Medical Isotope Reactor) स्थापित करने की घोषणा की है। यह रिएक्टर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में लगाया जाएगा। परियोजना पूरी होने के बाद भारत चिकित्सा क्षेत्र में रेडियोआइसोटोप उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम उठाएगा।

इस अत्याधुनिक मेडिकल रिएक्टर के शुरू होने से देश में कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में क्रांतिकारी सुधार आने की उम्मीद है। अब तक भारत रेडियोआइसोटोप्स (Radioisotopes) का अधिकांश हिस्सा आयात करता रहा है, जिनका उपयोग कैंसर निदान और रेडियोथेरेपी में किया जाता है। लेकिन इस नई परियोजना से भारत को न केवल आत्मनिर्भरता मिलेगी, बल्कि यह एशिया का प्रमुख मेडिकल आइसोटोप उत्पादक देश भी बन सकता है।

डीएई और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की संयुक्त पहल

यह परियोजना परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) की संयुक्त पहल पर शुरू की जा रही है। रिएक्टर का डिजाइन पूरी तरह भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया है। इसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यावरण मानकों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है।

रिएक्टर से उत्पादित मेडिकल आइसोटोप्स का उपयोग मुख्यतः कैंसर की रेडियोथेरेपी, पीईटी स्कैन (PET Scan), और अन्य न्यूक्लियर डायग्नोस्टिक तकनीकों में किया जाएगा। इसके अलावा इसका उपयोग हृदय, गुर्दा और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियों के निदान में भी किया जा सकेगा।

देश में बढ़ती मांग को पूरा करेगा नया रिएक्टर

वर्तमान में भारत में हर साल करीब 18 लाख नए कैंसर मरीज सामने आते हैं। रेडियोआइसोटोप्स की मांग तेजी से बढ़ रही है, जबकि मौजूदा उत्पादन क्षमता सीमित है। इस नई सुविधा से न केवल घरेलू जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि भविष्य में अन्य देशों को निर्यात की संभावना भी खुलेगी।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिएक्टर के संचालन से भारत की स्वास्थ्य सेवाओं की लागत में भी कमी आएगी, क्योंकि अब महंगे आयातित आइसोटोप्स पर निर्भरता घटेगी।

रोजगार और अनुसंधान को भी मिलेगा बढ़ावा

यह परियोजना न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और रोजगार के क्षेत्र में भी नए अवसर खोलेगी। स्थानीय स्तर पर सैकड़ों वैज्ञानिक, तकनीकी विशेषज्ञ और प्रशिक्षित कर्मियों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के लिए यह रिएक्टर वैज्ञानिक अध्ययन और इनोवेशन का नया केंद्र बनेगा।

प्रधानमंत्री की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को नई गति

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ नीति को मजबूत करेगा। इससे भारत चिकित्सा प्रौद्योगिकी में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकेगा और उन्नत कैंसर उपचार सभी वर्गों तक अधिक सुलभ हो पाएगा।

परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रिएक्टर का निर्माण कार्य अगले वर्ष तक शुरू होने की उम्मीद है, जबकि इसे 2028 तक संचालन के लिए तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।

इस परियोजना के शुरू होने से भारत न केवल अपनी चिकित्सा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि आने वाले समय में दुनिया के लिए भी सस्ती और प्रभावी रेडियोथेरेपी तकनीक उपलब्ध कराने में अग्रणी भूमिका निभा सकेगा।

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