विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक में वैश्विक आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर कड़ी चिंता जताई और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसी भी रूप में आतंकवाद को न तो उचित ठहराया जा सकता है और न ही इसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए।
जयशंकर ने कहा, “हमें अपने लोगों की सुरक्षा का अधिकार है और हम इसे सुनिश्चित करते रहेंगे।” उन्होंने जोर दिया कि एससीओ को बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप अपनी कार्यप्रणाली और एजेंडा को मजबूत करना होगा। भारत, उन्होंने कहा, इन प्रयासों में सकारात्मक और रचनात्मक योगदान देता रहेगा।
विदेश मंत्री ने याद दिलाया कि एससीओ की स्थापना 2001 में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से मुकाबला करने के उद्देश्य से हुई थी, लेकिन बीते वर्षों में ये चुनौतियाँ और भी गंभीर हुई हैं।
गौरतलब है कि एससीओ में रूस, चीन, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान प्रारंभिक सदस्य थे। भारत और पाकिस्तान 2017 में स्थायी सदस्य बने, जबकि ईरान 2023 में शामिल हुआ।
जयशंकर के अनुसार, इस क्षेत्रीय समूह को अपनी मूल भावना—सुरक्षा, स्थिरता और साझी कार्रवाई—को और मजबूत करने की आवश्यकता है।





