देहरादून: दीपावली के पर्व पर प्रदेशभर में रोशनी और उत्साह के साथ पटाखों की आवाजें गूंजीं, लेकिन इसके साथ ही कई शहरों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी बढ़ गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, दीपावली की रात सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण काशीपुर में दर्ज किया गया, जबकि टिहरी जिले की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही।
रिपोर्ट के मुताबिक, काशीपुर में रात के समय ध्वनि प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानक से कहीं अधिक पाया गया। शहर में पटाखों की तेज आवाजें देर रात तक गूंजती रहीं, जिससे न केवल शोर स्तर बढ़ा बल्कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पर भी असर देखा गया। हरिद्वार, हल्द्वानी और देहरादून में भी ध्वनि और वायु प्रदूषण के स्तर में सामान्य दिनों की तुलना में वृद्धि दर्ज की गई।
वहीं, टिहरी में दीपावली अपेक्षाकृत शांत और पर्यावरण के अनुकूल रही। यहां पटाखों का सीमित उपयोग होने के कारण वायु गुणवत्ता सामान्य श्रेणी में रही और ध्वनि प्रदूषण भी नियंत्रित रहा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि दीपावली के दौरान शोर और वायु प्रदूषण को नियंत्रित रखने के लिए लगातार निगरानी की गई थी। उन्होंने कहा कि नागरिकों को भविष्य में ‘ग्रीन क्रैकर’ का इस्तेमाल बढ़ाने और ध्वनि सीमा का पालन करने की आवश्यकता है ताकि पर्व का आनंद पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी के साथ मनाया जा सके।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लगातार बढ़ता शोर और धुआं मानव स्वास्थ्य, विशेषकर बुजुर्गों, बच्चों और हृदय रोगियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने अपील की कि आने वाले वर्षों में दीपावली को पारंपरिक, सुरक्षित और पर्यावरण-संवेदनशील ढंग से मनाया जाए।





