नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ करने और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम ‘इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट’ रखने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। कई सामाजिक संगठनों, इतिहासकारों और राजनीतिक समूहों ने केंद्र सरकार से यह आग्रह किया है कि प्राचीन भारतीय सभ्यता और महाभारत कालीन विरासत को सम्मान देने के लिए राजधानी को उसके ऐतिहासिक नाम ‘इंद्रप्रस्थ’ से पुकारा जाए।
यह मांग हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक संगोष्ठी में उठाई गई, जिसमें विभिन्न इतिहास शोध संस्थानों और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। वक्ताओं का कहना था कि दिल्ली, जिसका उल्लेख महाभारत में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ के रूप में मिलता है, को उसका प्राचीन गौरव लौटाना चाहिए।
संगोष्ठी में प्रस्ताव रखा गया कि जिस तरह देशभर में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान के आधार पर कई शहरों के नाम बदले गए हैं — जैसे प्रयागराज, अयोध्या, और काशी — उसी तरह दिल्ली को भी ‘इंद्रप्रस्थ’ नाम दिया जाए। वक्ताओं ने यह भी सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट’ रखा जाए, ताकि दुनिया भर के यात्रियों को भारत की ऐतिहासिक पहचान का संदेश मिल सके।
इस पहल का समर्थन करते हुए कई सांस्कृतिक संगठनों ने कहा कि यह कदम भारतीय परंपरा और गौरव से जुड़ी पहचान को पुनर्जीवित करेगा। वहीं कुछ इतिहासकारों ने तर्क दिया कि ‘इंद्रप्रस्थ’ नाम दिल्ली की ऐतिहासिक निरंतरता और सभ्यता के विकास को दर्शाता है, जो 5000 साल पुरानी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
राजनीतिक हलकों में भी इस प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो गई है। कुछ दलों ने इसे “भारतीयता के प्रतीक नाम की बहाली” बताया है, जबकि अन्य इसे “राजनीतिक मकसद से जुड़ा कदम” कह रहे हैं।
केंद्र सरकार की ओर से फिलहाल इस प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक संस्कृति मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को इस मुद्दे पर प्राप्त ज्ञापनों की समीक्षा के निर्देश दिए गए हैं।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने वाले कुछ नागरिक समूहों ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि “दिल्ली केवल आधुनिक महानगर नहीं, बल्कि इंद्रप्रस्थ की ऐतिहासिक भूमि है, जहां से भारत की सभ्यता की कहानी शुरू होती है।”





