दिल्ली के प्रसिद्ध डियर पार्क में हिरणों के स्थानांतरण को लेकर जारी विवाद के बीच अदालत ने बड़ा हस्तक्षेप किया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश देते हुए हिरणों के किसी भी प्रकार के स्थानांतरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। न्यायालय का कहना है कि पार्क में रहने वाले वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास से छेड़छाड़ किसी भी तरह से उचित नहीं है और यह वन संरक्षण संबंधी प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
इसके साथ ही अदालत ने पार्क परिसर में चल रही सभी व्यावसायिक गतिविधियों पर भी रोक लगाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने माना कि डियर पार्क मुख्य रूप से वन्यजीव संरक्षण और हरित क्षेत्र बनाए रखने की भावना से स्थापित किया गया था, इसलिए ऐसे किसी भी व्यावसायिक प्रयोग को अनुमति नहीं दी जा सकती, जिससे पार्क का पर्यावरणीय संतुलन प्रभावित हो।
अदालत ने वन विभाग और संबंधित प्राधिकरणों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है कि हिरणों के स्थानांतरण की आवश्यकता क्यों महसूस की गई थी और प्रस्तावित प्रक्रिया किस आधार पर तैयार की गई थी। न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या पर्यावरणीय प्रभाव और वन्यजीवों के कल्याण से जुड़े पहलुओं का मूल्यांकन किया गया था या नहीं।
पार्क के आसपास रहने वाले स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि लगातार बढ़ती मानव गतिविधियों और व्यावसायिक हस्तक्षेप के कारण डियर पार्क की मूल संरचना प्रभावित हो रही थी। हिरणों के स्थानांतरण की योजना को लेकर भी कई संगठनों ने सवाल उठाए थे और इसे वन्यजीवों के लिए जोखिमपूर्ण बताया था।
न्यायालय के इस आदेश के बाद अब डियर पार्क में किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लागू रहेगी और हिरणों के संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया है कि वन्यजीवों के हित और पर्यावरणीय संतुलन सर्वोपरि हैं, और प्रशासन को इन्हीं मानकों के अनुरूप कदम उठाने होंगे।





