नई दिल्ली। सर्दी की दस्तक के साथ ही देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है। दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के शहरों में हवा में जहर घुलने लगा है, जिससे लोगों की सांसें फिर से संकट में हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेताया है कि वर्तमान स्थिति में बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और पहले से सांस या हृदय रोग से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए देशभर में एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से घर से बाहर निकलने से बचें, विशेषकर सुबह और शाम के समय जब वायु गुणवत्ता सबसे खराब होती है। साथ ही मास्क का उपयोग करने, पर्याप्त पानी पीने और पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी गई है।
एडवाइजरी में कहा गया है कि जिन लोगों को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या एलर्जी की समस्या है, वे अपनी दवाएं नियमित रूप से लें और चिकित्सक की सलाह पर ही बाहरी गतिविधियां करें। गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को स्कूल या पार्क जैसी खुली जगहों में लंबे समय तक न रहने की सलाह दी गई है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कई स्थानों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच गया है, जो ‘गंभीर श्रेणी’ में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण के बढ़ते स्तर से आंखों में जलन, खांसी, गले में खराश, सांस फूलना और थकान जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू करें। निर्माण कार्य, खुले में कचरा जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन पर निगरानी बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं। स्कूलों में भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण अब मौसमी नहीं, बल्कि सालभर का खतरा बन चुका है। सरकार के साथ-साथ नागरिकों को भी प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों में भागीदार बनना होगा। विशेषज्ञों ने पौधारोपण, सार्वजनिक परिवहन के उपयोग और निजी वाहनों के प्रयोग को सीमित करने की अपील की है।
केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि वायु गुणवत्ता में और गिरावट होती है, तो आपात स्वास्थ्य सेवाओं को सक्रिय किया जाएगा ताकि प्रभावित लोगों को तुरंत चिकित्सा सहायता मिल सके।
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में फिर लौटा प्रदूषण का संकट





