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दिल्ली: अफगानी मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री पर बैन, भड़की कांग्रेस — सरकार से जवाब की मांग

नई दिल्ली:
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के भारत दौरे के दौरान बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास में आयोजित मुत्तकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री पर रोक लगा दी गई। इस घटना ने सियासी हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस पर “स्पष्ट रुख” बताने की मांग की है।
तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मुत्तकी सात दिन के भारत दौरे पर हैं। शुक्रवार को उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, जिसके बाद प्रेस वार्ता आयोजित की गई। लेकिन इस दौरान महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई।
प्रियंका गांधी बोलीं — “यह भारत की महिलाओं का अपमान”
कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवेश न देना “भारत की सक्षम महिलाओं का अपमान” है।
उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा —
“अगर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा महिलाओं के अधिकारों को लेकर कही गई बातें केवल चुनावी दिखावा नहीं हैं, तो फिर हमारे देश की सक्षम महिला पत्रकारों का अपमान कैसे होने दिया गया?”
प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, क्योंकि यह घटना भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए शर्मनाक है।
पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम ने भी सरकार को घेरा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब पुरुष पत्रकारों को यह पता चला कि उनकी महिला सहकर्मियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर रखा गया है, तो उन्हें एकजुटता दिखाते हुए प्रेस वार्ता का बहिष्कार करना चाहिए था।
अपने पोस्ट में चिदंबरम ने लिखा —
“मुझे इस बात पर हैरानी है कि अफगानिस्तान के मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया। पुरुष पत्रकारों को उनके समर्थन में बाहर निकल जाना चाहिए था।”
वहीं, कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम ने भी केंद्र सरकार और विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विदेश मंत्रालय की “निराशाजनक चुप्पी” है।
उन्होंने कहा —
“मैं समझता हूं कि तालिबान के साथ बातचीत कुछ भू-राजनीतिक कारणों से जरूरी हो सकती है, लेकिन उनके भेदभावपूर्ण रवैये को मान लेना हास्यास्पद है। यह भारत की कूटनीतिक गरिमा के खिलाफ है।”
तालिबान मंत्री का भारत दौरा
गौरतलब है कि तालिबान के सत्ता में आने (अगस्त 2021) के बाद से यह पहली बार है जब अफगानिस्तान से कोई उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया है। मुत्तकी 9 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे। अपनी यात्रा के पहले दिन उन्होंने विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा की।
हालांकि, उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को रोकने की घटना ने भारत में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में आक्रोश पैदा कर दिया है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि विदेश मंत्रालय और केंद्र सरकार इस विवाद पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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