बैंकॉक: थाईलैंड में भगवान विष्णु की एक प्रतिमा को तोड़े जाने के बाद उपजे विवाद पर अब वहां की सरकार और संबंधित अधिकारियों ने अपना पक्ष रखा है। थाईलैंड प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि प्रतिमा को हटाने या विखंडित करने का निर्णय केवल सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया था और इसका उद्देश्य किसी भी धर्म या समुदाय की भावनाओं को आहत करना नहीं था।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में थाईलैंड के एक सार्वजनिक स्थल पर स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा को हटाए जाने और उसे क्षतिग्रस्त किए जाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। इसके बाद न केवल थाईलैंड के हिंदू समुदाय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। कई धार्मिक संगठनों ने इसे आस्था पर चोट बताते हुए विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी थी।
प्रशासन का तर्क: सुरक्षा सबसे ऊपर
बढ़ते विवाद को देखते हुए थाई थाई अधिकारियों ने आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्टीकरण दिया है। प्रशासन का दावा है कि जिस स्थान पर मूर्ति स्थापित थी, वहां निर्माण कार्य और ढांचे की मजबूती को लेकर तकनीकी समस्याएं आ रही थीं। अधिकारियों के अनुसार, प्रतिमा जिस आधार पर टिकी थी, वह काफी जर्जर हो चुका था और उसके गिरने से किसी बड़े हादसे की आशंका थी।
बयान में कहा गया, “प्रतिमा को हटाना एक तकनीकी मजबूरी थी। ढांचे की सुरक्षा ऑडिट के बाद यह पाया गया कि इसे वहां बनाए रखना खतरनाक हो सकता है। हमने यह कदम केवल नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया है।”
धार्मिक भावनाओं पर स्पष्टीकरण
विदेशी मंत्रालय और स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से कहा कि थाईलैंड एक ऐसा देश है जहाँ हिंदू संस्कृति और बौद्ध धर्म का गहरा मेल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भगवान विष्णु और अन्य हिंदू देवी-देवताओं के प्रति थाई जनता के मन में गहरा सम्मान है। प्रशासन ने खेद जताते हुए कहा कि यदि इस प्रक्रिया से किसी की धार्मिक भावनाओं को दुख पहुँचा है, तो वह अनपेक्षित था।
भविष्य की योजना
थाईलैंड सरकार ने आश्वासन दिया है कि प्रतिमा को पूरी गरिमा के साथ पुनर्स्थापित करने या उसे किसी सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने पर विचार किया जा रहा है। अधिकारियों ने स्थानीय धार्मिक नेताओं से संवाद करने और इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की बात भी कही है ताकि भविष्य में ऐसी गलतफहमियां पैदा न हों।





