Saturday, July 27, 2024

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तुर्किये के नगर निकाय चुनाव में एर्दोगन की असल परीक्षा

तुर्किये में आज नगर निकाय चुनाव होने जा रहा है। 31 मार्च को हो रहे इस चुनाव को देश के राजनीतिक भविष्य के रुझान की तरह देखा जा रहा है। सभी 81 प्रांतों में मतदान होगा, लेकिन असली लड़ाई 1.6 करोड़ लोगों वाले शहर इस्तांबुल के लिए है। इस देश की राजनीति में एक कहावत है कि जो भी इस्तांबुल जीतता है उसका मतलब है कि वह तुर्किये जीतता है। यही कारण है कि राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन और विपक्ष दोनों के लिए यह चुनाव बेहद अहम है।  एर्दोगन 2014 से तुर्की के राष्ट्रपति हैं। मई 2023 में हुए आम चुनाव में वह दोबारा जीतकर राष्ट्रपति बने। जीत के बाद दिए गए अपने भाषण में ही उन्होंने स्थानीय चुनावों का बिगुल बजा दिया था। हालांकि, साल 2019 में देश भर में हुआ पिछला स्थानीय चुनाव उनके लिए निराशाजनक रहा था। उनकी जस्टिस ऐंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) देश के तीन सबसे बड़े शहरों- इस्तांबुल, अंकारा और इजमीर में हार गई थी। प्रमुख प्रतिद्वंद्वी एक्रेम इमामोग्लू से इस्तांबुल हारना एर्दोगन के लिए बड़ा झटका था। इसके बाद साल 2023 में हुए चुनाव में बहुमत हासिल करके राष्ट्रपति बनकर एक बार फिर अपने विपक्षियों पर पलटवार किया। आज होने वाले चुनाव नाटो के सदस्य तुर्किये पर एर्दोगन के नियंत्रण को मजबूत कर सकते हैं या प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था के विभाजित राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव का संकेत दे सकते हैं। वहीं, इमामोग्लू के भविष्य में राष्ट्रीय नेता बनने की उम्मीदों को बल मिल सकता है। एर्दोगन के मुकाबले इमामोग्लू विपक्ष का मुख्य विकल्प बनकर उभरे हैं। माना जा रहा है कि अगर इस बार भी इमामोग्लू चुनाव जीत जाते हैं, तो वह 2028 के राष्ट्रपति चुनाव में खड़े हो सकते हैं। यह जीत उनकी संभावनाएं बढ़ा देगी, लेकिन अगर वह हारते हैं, तो ये ना केवल उनके राजनीतिक भविष्य बल्कि विपक्ष की संभावनाओं को भी बड़ा झटका दे सकता है।

 

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