देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) के दायरे को और स्पष्ट करते हुए बड़ा निर्णय लिया है। अब राज्य का कोई नागरिक यदि नेपाल, तिब्बत या भूटान के नागरिक (महिला या पुरुष) से विवाह करता है, तो उस विवाह का पंजीकरण यूसीसी के तहत किया जा सकेगा। इसके लिए सोमवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में नियमावली संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
यूसीसी लागू होने के बाद यह समस्या सामने आई थी कि यदि किसी उत्तराखंड निवासी का विवाह नेपाल, भूटान या तिब्बत के नागरिक से हुआ है, तो दोनों के पास राज्य का वैध आधार कार्ड न होने की स्थिति में विवाह पंजीकरण संभव नहीं था।
राज्य के कई सीमांत क्षेत्रों—जैसे पिथौरागढ़, चंपावत और उत्तरकाशी—में इन तीनों देशों के मूल निवासियों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती विवाह आम हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में दंपति तकनीकी कारणों से विवाह पंजीकरण नहीं करा पा रहे थे। अब संशोधित नियमों के तहत यह तकनीकी अड़चन दूर कर दी गई है।
इन शर्तों पर होगा विवाह पंजीकरण संभव
संशोधित यूसीसी नियमों के अनुसार, यदि किसी उत्तराखंड निवासी का विवाह नेपाल, भूटान या तिब्बत के नागरिक से हुआ है, तो पंजीकरण के लिए कुछ विशेष दस्तावेज और प्रमाण आवश्यक होंगे—
• नेपाल और भूटान के नागरिकों को अपने देश की सरकार या स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी वैध नागरिकता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
• इन देशों के नागरिकों को भारत में कम से कम 180 दिन (छह माह) प्रवास का प्रमाण देना होगा।
• नेपाल के नागरिकों के लिए भारतीय नेपाली मिशन और भूटान के नागरिकों के लिए रॉयल भूटानी मिशन से जारी प्रवास प्रमाणपत्र आवश्यक होगा।
• तिब्बती मूल के व्यक्तियों को विदेशी पंजीकरण अधिकारी (FRO) द्वारा जारी वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र देना होगा।
गौरतलब है कि राज्य में 27 जनवरी 2024 को समान नागरिक संहिता लागू की गई थी। इसके क्रियान्वयन के बाद कई व्यावहारिक दिक्कतें सामने आईं, जिन्हें दूर करने के लिए सरकार ने एक हाई पावर समिति का गठन किया था। समिति की अनुशंसा पर समय-समय पर नियमों में सुधार किए जा रहे हैं।
इस संशोधन को राज्य सरकार ने सीमांत क्षेत्रों की सामाजिक और पारिवारिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर लाया है, ताकि राज्य के नागरिकों के वैवाहिक अधिकार सीमाओं की भौगोलिक जटिलताओं से प्रभावित न हों।
राज्य सरकार का कहना है कि यूसीसी के इस संशोधन से उन परिवारों को राहत मिलेगी जो सीमावर्ती इलाकों में रहते हैं और जिनके विवाह पड़ोसी देशों के नागरिकों से हुए हैं। अब वे अपने विवाह का पंजीकरण कानूनी रूप से वैध और पारदर्शी तरीके से करा सकेंगे।
यह बदलाव न केवल कानूनी स्पष्टता लाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उत्तराखंड की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करते हुए कानून सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू हो।
तिब्बत, नेपाल और भूटान के साथी से विवाह का भी होगा पंजीकरण, कैबिनेट ने दी नियम संशोधन को मंजूरी


