अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हश मनी मामले में राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की ओर दाखिल की गई सजा में देरी करने की अपील को खारिज कर दिया। इस आदेश के बाद न्यायाधीश जुआन एम. मर्चन के लिए शुक्रवार को ट्रंप को सजा सुनाने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि जज मर्चेन ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप को मई में 34 मामलों में दोषी ठहराया था, जिनमें 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को पैसे देकर चुप कराने का आरोप भी शामिल था, जिससे वह ट्रंप के साथ यौन संबंध बनाने के अपने दावे को सार्वजनिक करने से रोक सकें। मामले में ट्रंप का कहना है कि डेनियल्स का दावा झूठा है और उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया। न्यायाधीश मर्चन ने यह संकेत दिया है कि वह ट्रंप को जेल की सजा, जुर्माना या पैरोल (शर्तों पर रिहाई) नहीं देंगे। ट्रंप के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि राष्ट्रपति को कुछ मामलों में आपराधिक आरोपों से सुरक्षा (इम्युनिटी) मिलती है। उनका कहना था कि इस फैसले के आधार पर ट्रंप के खिलाफ जो सबूत न्यूयॉर्क के हश-मनी मामले में इस्तेमाल हुए हैं, उन्हें राष्ट्रपति की सुरक्षा के तहत छिपाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति पद के हस्तांतरण के दौरान ट्रंप का ध्यान भटकाने से बचने के लिए उनकी अपीलों के निपटारे तक सजा सुनाने में देरी की जानी चाहिए।
न्यूयॉर्क की अदालतों की ओर से सजा को स्थगित करने से इनकार करने के बाद ट्रंप के वकील न्यायाधीशों के पास गए। न्यूयॉर्क के जजों ने पाया कि राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के आधिकारिक कृत्यों के बजाय व्यक्तिगत मामलों से संबंधित व्यापारिक रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के 34 गंभीर अपराधों में दोषसिद्धि हुई है। वहीं ट्रंप के वकीलों ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया। वकीलों ने कहा कि अब उन्हें सजा देना घोर अन्याय होगा। जिससे राष्ट्रपति पद के हस्तांतरण में दिक्कत आ सकती है।