देश के 700 जिलों में डे केयर कैंसर सेंटर शुरू होने से रोगियों की लंबी दूरी कम होगी। साथ ही, कैंसर मरीजों को सालाना 10,000 करोड़ रुपये की बचत भी होगी। यह आकलन केंद्र सरकार ने इस घोषणा से पहले दिल्ली एम्स, आईसीएमआर और चंडीगढ़ पीजीआई के अध्ययनों की समीक्षा के बाद निकाला। इसके मुताबिक, एक कैंसर मरीज को इलाज के लिए बड़े अस्पताल तक जाना पड़ता है। उसके साथ कम-से-कम एक तीमारदार जरूर होता है। यात्रा के साथ इलाज पूरा होने तक इनके अस्पताल के आसपास ठहरने और भोजन में करीब 65 से 70 हजार रुपये प्रति मरीज खर्च होते हैं। अब घर के नजदीक डे केयर सेंटर शुरू होने से मरीजों की यह पूरी रकम बचेगी और शाम को इलाज लेकर मरीज अपने घर भी जा सकेगा। अध्ययन के मुताबिक, देश में कैंसर की सर्जरी के लिए करीब दो से पांच लाख रुपये, कीमोथेरेपी के प्रति चक्र के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये और रेडियोथेरेपी के प्रति चक्र के लिए करीब तीन से पांच हजार रुपये प्रति मरीज खर्च होते हैं। इसमें मरीज की यात्रा, ठहरने और भोजन से जुड़ा खर्च शामिल नहीं है। अध्ययन जेब से खर्च (ओओपीई) को लेकर यह भी पता चला है कि ओपीडी में परामर्श के लिए प्रति रोगी 8,053 और अस्पताल में भर्ती होने पर औसत 39,085 रुपये का खर्च आता है। इसमें निजी अस्पताल शामिल नहीं है, जहां मरीज का खर्च कई गुना अधिक होता है। इसी तरह, भयावह स्वास्थ्य खर्च (सीएचई) की बात करें तो यह आर्थिक रूप से संपन्न मरीजों की तुलना में गरीब रोगियों के लिए 7.4 गुना अधिक है।सरकार का आकलन बताता है कि लक्षण मिलने के बाद निदान (बायोप्सी, पैट स्कैन आदि) के लिए मरीजों को बड़े अस्पताल में जाना पड़ता है। यहां तक आने की यात्रा, रुकने की व्यवस्था, भोजन इत्यादि पर प्रति रोगी खर्च 65 से 70 हजार रुपये है। सालाना मिलने वाले कुल 15 लाख रोगियों से इसकी गणना करें तो यह खर्च 9,075 से 10,500 करोड़ रुपये तक है। यह बचत इसलिए संभव होगी, क्योंकि जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर शुरू होने से वहां निदान, कीमोथेरेपी और भोजन निशुल्क होगा। गरीब रोगियों के लिए दवाएं निशुल्क उपलब्ध होगीं।