राज्य में डिजिटल क्रॉप सर्वे (Digital Crop Survey) को गति देने के लिए सरकार अब निजी क्षेत्र की मदद लेने की तैयारी कर रही है। इसके तहत कृषि विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है कि सर्वे के लिए प्रशिक्षित निजी सर्वेयरों की सेवाएं ली जाएं। इस योजना के लिए आवश्यक बजट केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय से प्राप्त किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार को यह निर्णय इसलिए लेना पड़ा क्योंकि सीमित कार्मिकों के कारण सरकारी अमला सभी जिलों में एक साथ फसल सर्वे का कार्य समय पर पूरा नहीं कर पा रहा था। अब निजी एजेंसियों से सर्वेयर रखने के बाद खेतों में फसलों के वास्तविक डाटा एकत्र करने की प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है।
पिछले वर्ष कुछ जनपदों में डिजिटल क्रॉप सर्वे का पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया था, जिसमें सैटेलाइट तकनीक और मोबाइल एप के माध्यम से खेतों का डेटा एकत्र किया गया। इस पहल के सकारात्मक परिणाम सामने आए — फसलों का सही क्षेत्रफल, उत्पादन क्षमता और भूमि उपयोग का वास्तविक आकलन संभव हुआ। अब राज्य सरकार इस प्रणाली को प्रदेशभर में लागू करना चाहती है।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, डिजिटल सर्वे से किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। इससे फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य, और आपदा राहत जैसी योजनाओं में सटीक जानकारी के आधार पर सहायता दी जा सकेगी। गलत या अपूर्ण आंकड़ों की समस्या काफी हद तक समाप्त हो जाएगी।
प्रस्ताव के मुताबिक, निजी सर्वेयरों को आधुनिक तकनीक—जैसे जीआईएस मैपिंग, जीपीएस ट्रैकिंग और मोबाइल एप आधारित डाटा एंट्री—का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कृषि मंत्रालय इस परियोजना के लिए राज्यों को आवश्यक फंड उपलब्ध कराएगा। विभाग स्तर पर निगरानी के लिए एक विशेष नियंत्रण कक्ष (Control Room) भी स्थापित किया जाएगा, जो रीयल टाइम डेटा की मॉनिटरिंग करेगा।
कृषि सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार ने डिजिटल क्रॉप सर्वे को राष्ट्रीय कृषि आधुनिकीकरण मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा घोषित किया है। इसके तहत राज्यवार डेटा बैंक तैयार किया जाएगा, जिससे नीति निर्माण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि निजी सर्वेयरों को शामिल करने से सर्वे की गुणवत्ता में सुधार आएगा और रिपोर्ट समयबद्ध तरीके से पूरी हो सकेगी।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, अगले महीने तक निजी एजेंसियों के चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उसके बाद जिलास्तर पर सर्वेयरों की तैनाती और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे। लक्ष्य है कि आगामी रबी सीजन से पहले डिजिटल क्रॉप सर्वे की कवरेज राज्य के सभी ब्लॉकों तक पहुंचाई जा सके।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना सफल रही, तो आने वाले वर्षों में राज्य की कृषि नीतियां डेटा आधारित होंगी, जिससे फसल विविधीकरण, सिंचाई प्रबंधन और किसानों की आय वृद्धि में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।