Sunday, April 27, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

ट्रंप से राहत तो वस्तुओं के 55% आयात पर भारत भी घटा सकता है टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ लगाने की समयसीमा करीब आने के साथ भारत इसके प्रतिकूल प्रभाव घटाने की कोशिश में जुटा है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका से आयातित 55 फीसदी वस्तुओं पर भारत टैरिफ कटौती कर सकता है। हालांकि, इसके बदले ट्रंप की तरफ से भी कुछ राहत की उम्मीद की जा रही है। इस बीच, रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने यह कहकर उम्मीदें जगा दी हैं कि ट्रंप के टैरिफ युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है। ट्रंप की दो अप्रैल से पारस्परिक टैरिफ लागू करने की घोषणा से उपजी अनिश्चितता के बीच भारत-अमेरिका के बीच बातचीत का सिलसिला जारी है। रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली ने अपने आंतरिक विश्लेषण में पाया है कि टैरिफ अमेरिका को 66 अरब डॉलर यानी करीब 5.68 लाख करोड़ रुपये के कुल निर्यात में से 87 फीसदी को प्रभावित करेगा। सूत्रों के मुताबिक, अपने इस निर्यात को बचाने के लिए भारत 23 अरब डॉलर यानी करीब दो लाख करोड़ रुपये के आधे से अधिक अमेरिकी आयात पर टैरिफ कटौती पर विचार कर रहा है।सूत्रों के मुताबिक, भारत 55 फीसदी अमेरिकी वस्तुओं के आयात पर शुल्क को काफी कम करने या पूरी तरह खत्म करने पर भी तैयार हो सकता है, जिन पर अभी 5 फीसदी से 30 फीसदी तक टैरिफ लगता है। हालांकि, टैरिफ कटौती की यह पेशकश पारस्परिक टैरिफ पर अमेरिका से मिलने वाली राहत पर निर्भर करेगी। भारत का अनुमान है कि ट्रंप के फैसले से मोती, खनिज ईंधन, मशीनरी, बॉयलर और बिजली के उपकरणों जैसी वस्तुओं पर टैरिफ में 6 फीसदी से 10 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। टैरिफ पर ट्रंप की धमकियों के बीच भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को पटरी पर बनाए रखने के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को भारत पहुंचा। दक्षिण व मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में आया यह दल बुधवार से तीन दिवसीय वार्ता की शुरुआत करेगा। भारतीय अधिकारियों के साथ बैठक प्रस्तावित व्यापार समझौते पर केंद्रित होगी। समझौते को दो चरणों में अंतिम रूप दिया जाना है, जिसमें पहले चरण में माल व्यापार से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है।

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करते समय सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि अमेरिकी फास्ट ट्रैक ट्रेड अथॉरिटी की अनुपस्थिति में किसी भी समझौते पर अमेरिकी संसद की जांच, संभावित संशोधन, देरी या सीधे अस्वीकृति की तलवार लटकती रहेगी। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, प्रमाणन प्रक्रिया अमेरिका को व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद प्रभावी रूप से पुनः वार्ता की अनुमति देती है। इससे नीतिगत बदलावों की मांग उत्पन्न होगी, जो भारत की संप्रभुता को कमजोर कर सकती है।

Popular Articles