सैन फ्रांसिस्को। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में चल रहा एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। सम्मेलन के दौरान सबसे बड़ी खबर रही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुआ बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौता, जिसने वैश्विक आर्थिक हलकों में नई उम्मीदें जगा दी हैं।
दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात सम्मेलन के दूसरे दिन हुई, जिसे पिछले कुछ वर्षों में बिगड़े अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में “बड़ी प्रगति” के रूप में देखा जा रहा है। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देश “परस्पर सम्मान और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा” के आधार पर व्यापारिक संतुलन स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ट्रंप ने बैठक के बाद कहा, “यह एक ऐतिहासिक क्षण है। हमने व्यापार, प्रौद्योगिकी और निवेश से जुड़ी कई लंबित समस्याओं को हल करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। अमेरिका और चीन, दोनों को इससे समान लाभ मिलेगा।” वहीं शी जिनपिंग ने कहा कि “टकराव किसी का समाधान नहीं है। सहयोग ही आगे का रास्ता है।”
सूत्रों के मुताबिक, समझौते में कई प्रमुख बिंदु शामिल हैं — जिनमें शुल्कों में आंशिक कटौती, बौद्धिक संपदा संरक्षण को लेकर नई रूपरेखा, और निवेश नियमों को पारदर्शी बनाने पर सहमति बनी है। दोनों देशों ने व्यापार प्रतिनिधियों के बीच संवाद को नियमित बनाए रखने और अगले चरण के समझौते पर काम शुरू करने का भी फैसला किया है।
एपीईसी सम्मेलन में इस समझौते को सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे सदस्य देशों ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता को बल मिलेगा।
सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा हुई। कई देशों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग और व्यापारिक अवरोधों को कम करने की दिशा में साझा प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
आज सम्मेलन के अंतिम दिन संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया जाएगा, जिसमें सदस्य देशों की ओर से “संतुलित और सतत विकास” के लिए साझा रणनीति का खाका पेश किया जाएगा।
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप-जिनपिंग की बैठक ने न केवल अमेरिका-चीन संबंधों में नई दिशा दी है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि आर्थिक प्रतिस्पर्धा के बावजूद सहयोग की संभावनाएं जीवित हैं।


