कनाडा में जल्द ही आम चुनाव होने हैं। जिसके चलते कनाडा में चुनावी सरगर्मी तेज है और प्रचार जोरों पर है। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी बढ़त बनाए हुए है, वहीं कुछ समय पहले तक बढ़त में दिख रही कंजर्वेटिव पार्टी अब पिछड़ती नजर आ रही है। लिबरल पार्टी को डोनाल्ड ट्रंप के कनाडा पर टैरिफ लगाने के फैसले का फायदा मिलता दिख रहा है।
एक हालिया सर्वे के मुताबिक लिबरल पार्टी को 43 प्रतिशत लोग समर्थन कर रहे हैं। वहीं कंजर्वेटिव पार्टी को 38 प्रतिशत लोगों का साथ मिला है। भारतीय मूल के जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी 8.3 प्रतिशत समर्थन के साथ बुरी तरह पिछड़ गई है। वहीं ब्लॉक क्युबेकोइस पार्टी को 5.4 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल रहा है।
कनाडा में आम चुनाव के लिए मतदान 28 अप्रैल 2025 को होगा। हालांकि लिबरल पार्टी की मौजूदा सरकार का कार्यकाल इस साल अक्तूबर तक था, लेकिन जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री बने मार्क कार्नी ने जल्द चुनाव का एलान कर दिया। जिसके चलते अब अप्रैल में ही आम चुनाव के लिए मतदान हो रहा है।
जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी की सरकार कनाडा की सत्ता पर काबिज थी, लेकिन सरकार की नीतियों के चलते कनाडा में महंगाई और मकान की कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ गईं। साथ ही अप्रवासियों की बढ़ती तादाद को लेकर भी कनाडा के लोग जस्टिन ट्रूडो सरकार से नाराज थे। इसका असर ये हुआ कि लिबरल पार्टी में जस्टिन ट्रूडो को पद से हटाने की मांग उठने लगी और आखिरकार बढ़ते दबाव के चलते बीते दिनों ट्रूडो ने पीएम पद से इस्तीफे का एलान कर दिया। ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी ने मार्क कार्नी को अपना नया नेता चुना। कनाडा में सरकार का कार्यकाल पांच साल का होता है। अगला चुनाव कराने की समयसीमा अक्तूबर तक थी, लेकिन मार्क कार्नी ने सत्ता संभालते ही चुनाव में जाने का एलान कर दिया और संसद भंग कर अप्रैल में ही चुनाव कराने का फैसला किया।
कनाडा के आम चुनाव में मुख्य मुकाबला लिबरल पार्टी और कंजर्वेटिव पार्टी के बीच है। लिबरल पार्टी का चेहरा मौजूदा पीएम मार्क कार्नी हैं। वहीं कंजर्वेटिव पार्टी का नेतृत्व पिएरे पोलिएवरे कर रहे हैं। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी का चेहरा भारतीय मूल के जगमीत सिंह हैं। वहीं ब्लॉक क्युबेकोइस पार्टी के नेता फ्रेंकोइस ब्लेंकेट हैं।
कनाडा में भी भारत की तरह मतदाता सीधे प्रधानमंत्री के लिए मतदान नहीं करते हैं। कनाडा में भी मतदाता सांसदों का चुनाव करते हैं, जिस पार्टी के सबसे ज्यादा सांसद होते हैं, उसका नेता प्रधानमंत्री चुना जाता है। कनाडा में 343 संघीय निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिन्हें कनाडा में इलेक्टोरल डिस्ट्रिक्ट भी कहा जाता है। इन संघीय निर्वाचन क्षेत्रों से निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए सदस्य चुने जाते हैं। 172 सीटें पाने वाली पार्टी को बहुमत मिलता है और उसका नेता पीएम बनता है।
ताजा सर्वे के अनुसार, अगर आज चुनाव होते हैं तो लिबरल पार्टी 43 प्रतिशत समर्थन के साथ 196 सीटें जीत सकती है। वहीं विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी को 122 सीटें मिल सकती हैं। एनडीपी को सिर्फ पांच और ब्लॉक क्युबेकोइस पार्टी को 19 सीटें मिल सकती हैं। सर्वे से साफ है कि साल 2015 से कनाडा की सत्ता पर काबिज लिबरल पार्टी एक बार फिर सत्ता में आने जा रही है।
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा पर भारी टैरिफ लगा दिए और साथ ही कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की मंशा जाहिर कर दी। कनाडा की सरकार ने इसका कड़ा विरोध किया। मार्क कार्नी ने अमेरिका के आगे झुकने से इनकार कर दिया। इससे लोगों में मार्क कार्नी का समर्थन बढ़ा औऱ साथ ही एक राष्ट्रवाद की भावना का भी उदय हुआ है। इसका सीधा लाभ लिबरल पार्टी को मिला है। जो लिबरल पार्टी कुछ माह पहले तक सर्वे में बुरी तरह पिछड़ रही थी, वो ही लिबरल पार्टी अब एक बार फिर से सरकार बनाने के लिए तैयार दिख रही है।