विश्व निकाय की शीर्ष अर्थशास्त्री पामेला कोक-हैमिल्टन ने चेतावनी दी है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार में 3 प्रतिशत की कमी आ सकती है। इसके साथ ही निर्यात के पैटर्न में भी बड़े बदलावों के तहत अमेरिका-चीन के बाजारों से व्यापार सिमटकर भारत, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों की ओर हस्तांतरित हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अर्थशास्त्री व अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र (आईटीसी) की कार्यकारी निदेशक पामेला कोक-हैमिल्टन ने जिनेवा में कहा, ये टैरिफ वैश्विक व्यापार में लंबे वक्त तक बदलाव दिखाएंंगे। मसलन, मेक्सिको का निर्यात, जो पहले अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे बाजारों पर निर्भर था, अब कनाडा, ब्राजील और कुछ हद तक भारत की ओर बढ़ रहा है। इसी तरह, वियतनाम का निर्यात भी अमेरिका और चीन से हटकर मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और कोरिया जैसे बाजारों की ओर जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत जैसे विकासशील देशों के पास यह एक बड़ा मौका हो सकता है।फ्रांसीसी अर्थशास्त्र अनुसंधान संस्थान व सीईपीआईआई के शुरुआती अनुमानों के अनुसार, 2040 तक इन टैरिफ और जवाबी कदमों से वैश्विक जीडीपी में 0.7% की कमी आ सकती है। मेक्सिको, चीन, थाईलैंड और दक्षिणी अफ्रीका जैसे देशों के साथ-साथ अमेरिका को भी इसकी क्षति उठाना पड़ सकती है। शीर्ष अर्थशास्त्री ने कहा, भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अनिश्चितता के समय से कई निपटने के मौके हैं।कोक-हैमिल्टन ने कपड़ा उद्योग का उदाहरण देते हुए बताया कि यह उद्योग विकासशील देशों के लिए आर्थिक गतिविधि और रोजगार का बड़ा स्रोत है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश आज भी पूरी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश है। उसे 37 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ झेलना पड़ सकता है। यदि यह टैरिफ लागू हुआ तो 2029 तक बांग्लादेश को अमेरिका में 3.3 अरब डॉलर के निर्यात का नुकसान हो सकता है।ट्रंप प्रशासन अब अनुमान लगा रहा है कि चीन को लक्षित करके लगाए गए टैरिफ के चलते एपल को पहली बार अमेरिका में आईफोन निर्माण के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उसने पिछले 18 साल में अधिकांश आईफोन चीन में बनाए हैं। ऐसे में अपने ही देश का उत्पाद उसे 145% टैरिफ के साथ मंगाना होगा। इसमें जटिल आपूर्ति शृंखला भी बाधित होगी। अमेरिका में नए संयंत्र बनाने में कई वर्ष लगेंगे व अरबों डॉलर खर्च होंगे, और फिर एपल को आर्थिक ताकतों के मुकाबले में आईफोन के दाम 3 गुना बढ़ाने होंगे, जिससे बिक्री प्रभावित होगी।
टैरिफ पर एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की उपाध्यक्ष वेंडी कटलर ने कहा, चीन इस युद्ध में पीछे हटने वाला नहीं है, बल्कि इससे द्विपक्षीय व्यापार ठप होगा। विशेषज्ञ डैनियल रसेल ने कहा, चीन चीन लंबी रणनीति पर काम कर रहा है। शी मानते हैं कि टैरिफ नीति अमेरिकी बाजार के दबाव में खुद ही कमजोर पड़ जाएगी।