Saturday, November 15, 2025

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टाटा ट्रस्ट में फिर उठा विवाद: ट्रस्टी शापूरजी मिस्त्री ने दोहराई टाटा संस की लिस्टिंग की मांग

मुंबई:
देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूहों में शुमार टाटा समूह के परोपकारी अंग टाटा ट्रस्ट के भीतर एक बार फिर मतभेद गहराते दिख रहे हैं। ट्रस्ट के वरिष्ठ ट्रस्टी शापूरजी मिस्त्री ने एक बार फिर टाटा संस — समूह की होल्डिंग कंपनी — को शेयर बाजार में सूचीबद्ध (लिस्टेड) करने की मांग दोहराई है। उनके इस बयान से संगठन के भीतर लंबे समय से चली आ रही अंदरूनी खींचतान एक बार फिर उजागर हो गई है।
ट्रस्टियों के बीच असहमति
सूत्रों के मुताबिक, टाटा ट्रस्ट की हालिया बैठक में ट्रस्टी शापूरजी मिस्त्री ने टाटा संस की पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करने के लिए इसे पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में सूचीबद्ध करने की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि ट्रस्ट के अन्य सदस्यों ने इस पर सहमति नहीं जताई। बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान इस मुद्दे पर तीखी बहस भी हुई।
टाटा संस वर्तमान में एक अनलिस्टेड पब्लिक लिमिटेड कंपनी है, जिसमें टाटा ट्रस्ट्स की हिस्सेदारी करीब 66 प्रतिशत है। बाकी शेयर टाटा समूह की कंपनियों और शापूरजी पल्लोनजी समूह के पास हैं। शापूरजी परिवार, जिसने पहले भी कंपनी की गवर्नेंस नीति और पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे, अब दोबारा इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से उठा रहा है।
मिस्त्री का तर्क
मिस्त्री का कहना है कि टाटा संस जैसी विशाल और बहु-उद्योगीय कंपनी को लिस्टिंग के दायरे में लाने से निवेशकों, कर्मचारियों और आम जनता के प्रति उसकी जवाबदेही बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि “टाटा संस देश की आर्थिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में इसकी वित्तीय गतिविधियों और निर्णय प्रक्रिया का सार्वजनिक होना पारदर्शिता और सुशासन के लिहाज से आवश्यक है।”
टाटा ट्रस्ट का रुख
दूसरी ओर, ट्रस्ट के कुछ वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि टाटा संस की लिस्टिंग से संवेदनशील कारोबारी रणनीतियाँ सार्वजनिक होने का खतरा बढ़ जाएगा, जो समूह के दीर्घकालिक हित में नहीं होगा। उनका तर्क है कि वर्तमान ढांचा समूह के मूल मूल्यों और परोपकारी दृष्टिकोण के अनुरूप है और इसमें बदलाव की आवश्यकता नहीं है।
लंबे समय से जारी मतभेद
शापूरजी मिस्त्री और टाटा समूह के बीच मतभेद कोई नई बात नहीं है। मिस्त्री परिवार पहले भी टाटा संस में प्रबंधन और निर्णय प्रक्रिया को लेकर असहमति जता चुका है।
2016 में तत्कालीन चेयरमैन सायरस मिस्त्री को पद से हटाए जाने के बाद यह विवाद सार्वजनिक रूप से काफी बढ़ गया था। हालांकि बाद में दोनों पक्षों के बीच कानूनी लड़ाई सुलझ गई, लेकिन अब एक बार फिर गवर्नेंस मॉडल को लेकर मतभेद सामने आने लगे हैं।
उद्योग जगत की नजरें टिकीं
टाटा समूह भारतीय कॉरपोरेट जगत का प्रतीक माना जाता है, और ऐसे में टाटा ट्रस्ट के भीतर बढ़ती असहमति पर उद्योग जगत की नजरें टिकी हुई हैं। जानकारों का कहना है कि अगर टाटा संस की लिस्टिंग पर कोई ठोस पहल होती है, तो यह भारतीय उद्योग जगत में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है — लेकिन फिलहाल इसके आसार दूर दिखाई देते हैं।

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