नैनीताल हाईकोर्ट ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव प्रकरण की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से कड़े सवाल किए हैं। कोर्ट ने जानना चाहा कि उन पांच जिला पंचायत सदस्यों के खिलाफ आयोग ने क्या कार्रवाई की है, जिन्होंने बिना किसी कारण बताए मतदान नहीं किया।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
ऑब्जर्वर की रिपोर्ट पर सवाल
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष निर्वाचन और विवाद निवारण नियमावली 1994 की हैंडबुक तलब की थी। शुक्रवार को चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने बताया कि आयोग के ऑब्जर्वर की ओर से दो रिपोर्ट दी गई थीं।
रिपोर्ट में कहा गया कि मतदान स्थल से सौ मीटर के दायरे में कोई गड़बड़ी या हिंसा की घटना नहीं हुई। इसके आधार पर चुनाव आयोग ने मामले को नैनीताल जिला निर्वाचन अधिकारी (डीएम) के स्तर पर निस्तारित करने को कहा।
अधिवक्ता ने यह भी बताया कि ऑब्जर्वर ने 15 अगस्त की सुबह पांच बजे रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद उसी दिन नैनीताल एसएसपी ने डीएम को विस्तृत रिपोर्ट भेजी।
याची और प्रत्याशी पक्ष की दलीलें
याची के अधिवक्ता का तर्क था कि नियमों के अनुसार मतदान केंद्र से एक किलोमीटर की दूरी तक कड़ाई से पालन सुनिश्चित होना चाहिए, जबकि इस मामले में केवल 500 मीटर तक का क्षेत्र खाली दिखाया गया।
नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दरमवाल की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि ऑब्जर्वर ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि 500 मीटर के दायरे में कोई गड़बड़ी नहीं थी।
डीएम ने दी सफाई
सुनवाई के दौरान नैनीताल डीएम वंदना वर्चुअली कोर्ट में पेश हुईं। उन्होंने कहा कि चुनाव के दिन एसएसपी से मिली स्टेटस रिपोर्ट को उन्होंने उसी दिन चुनाव आयोग को भेज दिया था।
हाईकोर्ट का निर्देश
इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से सीधा सवाल किया कि मतदान दिवस की घटनाओं के संबंध में आयोग ने अधिकारियों को क्या निर्देश दिए और उसके बाद क्या कार्रवाई की। खंडपीठ ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह आगामी सोमवार को अपना पक्ष रखते हुए शपथपत्र (अफिडेविट) दाखिल करे।





