Thursday, March 20, 2025

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जल संधि से पहले फरक्का पहुंचा बांग्लादेश का प्रतिनिधिमंडल

अगले वर्ष होने वाले गंगा जल संधि के नवीनीकरण के सिलसिले में संयुक्त नदी आयोग (जेआरसी) का एक बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल सोमवार को पश्चिम बंगाल पहुंचा और उसने फरक्का में गंगा का दौरा किया। मुर्शिदाबाद जिले में स्थित फरक्का बैराज के कार्यों में एक गंगा जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश संधि, 1996 के अनुसार बांग्लादेश के लिए पानी का विनियमन करना है। संधि के प्रावधानों के तहत संयुक्त समिति की 86वीं बैठक और भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग ढांचे के तहत तकनीकी बैठक 6 और 7 मार्च को कोलकाता में होनी है। पश्चिम बंगाल सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह कोलकाता पहुंचा बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल 5 मार्च तक फरक्का में रहेगा। फिर दो दिवसीय बैठक के लिए कोलकाता लौटेगा।संयुक्त नदी आयोग जिसमें भारत, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों के सदस्य शामिल हैं, सीमा पार नदी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए साल में एक बार मिलता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से संधि को नवीनीकृत करने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। यह तब हो रहा है जब वह तीस्ता नदी जल-बंटवारा समझौते का विरोध कर रही हैं, जबकि भारत और बांग्लादेश दोनों 2011 में इसके मसौदे पर सहमत हो गए थे। पिछले साल, ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था, जिसमें दावा किया गया था कि गंगा जल संधि को नवीनीकृत करने का प्रयास एकतरफा था और राज्य सरकार से परामर्श नहीं किया गया था। हालांकि, केंद्र सरकार के अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि जुलाई 2023 में जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से गठित एक आंतरिक समिति में बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों सरकारों के प्रतिनिधि शामिल थे। पिछले साल जून में हसीना की भारत की यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने घोषणा की थी कि 1996 की संधि के नवीनीकरण के लिए तकनीकी वार्ता शुरू हो गई है। हालांकि, अगस्त 2024 में हसीना की सरकार गिर गई थी।

जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, भारत और बांग्लादेश 54 नदियों का पानी साझा करते हैं। भारत और बांग्लादेश के संयुक्त नदी आयोग का गठन 1972 में साझा अथवा सीमा अथवा सीमा पार नदियों पर आपसी हित के मुद्दों को हल करने के लिए द्विपक्षीय तंत्र के रूप में किया गया था। गंगा जल संधि पर 12 दिसंबर 1996 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना ने हस्ताक्षर किए थे।

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