पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के संस्थापक इमरान खान ने कहा कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पीटीआई सरकार को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश में जुटे थे बावजूद इसके हमने उन्हें अपदस्थ नहीं किया। अदियाला जेल में तोशखाना मामले में सुनवाई के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए खान ने कहा कि जनरल बाजवा की हरकतें विश्वासघात की तरह थीं। बावजूद इसके हमने उनके खिलाफ समिति का गठन नहीं किया। मैंने ऐसा पाकिस्तान की भलाई के लिए किया था। पाकिस्तान के कानून के अनुसार किसी विदेशी राज्य के गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त कोई भी उपहार स्टेट डिपॉजिटरी यानी तोशाखाना में रखना होता है। अगर राज्य का मुखिया उपहार को अपने पास रखना चाहता है तो उसके लिए उसे इसके मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। यह एक नीलामी की प्रक्रिया के जरिए तय किया जाता है। ये उपहार या तो तोशाखाना में जमा रहते हैं या नीलाम किए जा सकते हैं और इसके माध्यम से अर्जित धन को राष्ट्रीय खजाने में जमा किया जाता है। कहानी इमरान के प्रधानमंत्री रहते हुए शुरू हुई थी। 2018 में सत्ता में आए इमरान खान को आधिकारिक यात्राओं के दौरान करीब 14 करोड़ रुपये के 58 उपहार मिले थे। इन महंगे उपहारों को तोशाखाना में जमा किया गया था। बाद में इमरान खान ने इन्हें तोशखाने से सस्ते दाम पर खरीद लिया और फिर महंगे दाम पर बाजार में बेच दिया। इस पूरी प्रक्रिया के लिए उन्होंने सरकारी कानून में बदलाव भी किए।