Sunday, April 27, 2025

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जंगली फूलों के रंग देंगे जलवायु परिवर्तन की जानकारी

अब जंगली फूलों के रंगों के आधार पर जलवायु परिवर्तन की निगरानी की जा सकेगी। हाल ही में नासा के अध्ययन में यह पता चला कि कैसे हवाई और अंतरिक्ष आधारित उपकरण मौसमी फूलों के रंगों का उपयोग जलवायु परिवर्तनों पर नजर रखने के लिए कर सकते हैं। यह तकनीक उन किसानों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है जो फूलों पर निर्भर फसलों की खेती करते हैं। इस शोध के तहत वैज्ञानिकों ने दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला की ओर से विकसित तकनीक के जरिये हजारों एकड़ क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। इस दौरान इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर नामक उपकरण ने परिदृश्य को सैकड़ों प्रकाश तरंग दैर्ध्य में मापा और विभिन्न महीनों के दौरान फूलों के खिलने और उनके उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को रिकॉर्ड किया। पहली बार वनस्पति पर दीर्घकालिक निगरानी के लिए इस उपकरण का उपयोग किया गया। अध्ययन से पता चला कि फसलों से लेकर कैक्टस तक कई पौधों की प्रजातियों के फूलने की प्रक्रिया तापमान, दिन के उजाले और बारिश की मात्रा के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है। इसीलिए वैज्ञानिक वनस्पति फेनोलॉजी यानी पौधों के जीवन चक्र और बदलते मौसम के बीच के संबंधों का गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। इसका उद्देश्य यह समझना है कि बढ़ता तापमान और बदलता वर्षा पैटर्न पारिस्थितिकी तंत्र को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है।
फूलों के रंगों को तीन मुख्य समूहों में बांटा जाता है। पीले, नारंगी और लाल रंगों से जुड़े कैरोटीनॉयड और बीटालेन व गहरे लाल, बैंगनी और नीले रंगों के लिए जिम्मेदार एंथोसायनिन। वैज्ञानिकों ने इन रंगों के स्पेक्ट्रल पैटर्न का विश्लेषण करके पौधों की पहचान की। इससे यह जानकारी मिली कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन कैसा रुख अख्तियार करेगा।स्पेक्ट्रोमीटर, जो किसी भी पदार्थ से अवशोषित और परावर्तित प्रकाश की अनोखी पहचान कर सकता है जैविक तत्वों, खनिजों और गैसों का पता लगाने में भी सक्षम होता है। नासा पिछले 45 वर्षों में इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर तकनीक को लगातार उन्नत कर रहा है, जिससे न केवल पृथ्वी, बल्कि अन्य ग्रहों और चंद्रमाओं का भी सर्वेक्षण किया जा सकता है।

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