नई दिल्ली। भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था चुनाव आयोग ने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बड़ा निर्णय लिया है। अब देश में नए राजनीतिक दल बनाने के लिए किए जाने वाले आवेदनों की प्रक्रिया और जांच पहले से कहीं ज्यादा सख्त होगी। आयोग का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि राजनीतिक दलों के पंजीकरण में किसी भी तरह की अनियमितता और अपारदर्शिता की गुंजाइश न रहे।
क्यों उठाया गया यह कदम
पिछले कुछ वर्षों में चुनाव आयोग के पास राजनीतिक दलों के पंजीकरण के लिए बड़ी संख्या में आवेदन पहुंचे हैं। इनमें से कई मामलों में दस्तावेज अधूरे या भ्रामक पाए गए। कुछ संगठनों पर सिर्फ टैक्स छूट या राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से पार्टी बनाने के आरोप भी लगे। इन परिस्थितियों को देखते हुए आयोग ने अब आवेदनों की कड़ी जांच-पड़ताल करने का निर्णय लिया है।
क्या होगी नई प्रक्रिया
- आवेदन करने वाले दल को सभी आवश्यक दस्तावेज, संविधान और कार्यप्रणाली स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करनी होगी।
- सदस्यों की सूची, कोष का ब्योरा और कार्यालय पते की प्रमाणिकता अनिवार्य होगी।
- किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर आवेदन तत्काल निरस्त किया जा सकेगा।
- आयोग समय-समय पर आवेदकों से अतिरिक्त जानकारी या साक्ष्य भी मांग सकेगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
चुनाव आयोग का मानना है कि लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की भूमिका बेहद अहम होती है। यदि उनकी स्थापना ही पारदर्शी और सही जानकारी पर आधारित न हो, तो लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव कमजोर हो सकती है। यही वजह है कि यह कदम जनता का भरोसा मजबूत करने और राजनीतिक व्यवस्था को स्वच्छ बनाए रखने की दिशा में उठाया गया है।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
आयोग के इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा शुरू हो गई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इससे “फर्जी या कागजी पार्टियों” पर अंकुश लगेगा और वास्तविक रूप से जनता के मुद्दों पर काम करने वाली पार्टियों को मजबूती मिलेगी।