चुनावी बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने वरिष्ठ वकील मैथ्यू नेदुम्पारा को बार-बार टोकने और जोर से बोलने पर फटकार लगाई। दरअसल नेदुम्पारा इस मामले की सुनवाई के दौरान हस्तक्षेप करना चाहते थे और उन्होंने कहा कि कोर्ट ने इस देश की जनता की पीठ के पीछे बॉन्ड मामले में फैसला सुनाया है। यह नीतिगत मामला था और कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए था। इसलिए देश की जनता को ऐसा महसूस हो रहा है कि फैसला उसकी पीठ के पीछे दिया गया है। चुनावी बॉन्ड योजना पर सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील आदीश सी अग्रवाल के उस पत्र का संज्ञान लेने से मना कर दिया, जिसमें चुनावी बॉन्ड के खुलासे से संबंधित फैसले का स्वत: संज्ञान लेते हुए समीक्षा की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, वरिष्ठ वकील होने के अलावा आप सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। आप प्रक्रिया जानते हैं। आपने पत्र लिखकर मुझसे इस मामले में स्वत: संज्ञान न्यायक्षेत्र का इस्तेमाल करने के लिए कहा है। इसके लिए विशेष स्थिति क्या है? ये सिर्फ प्रचार पाने के हथकंडे हैं। हम इसकी इजाजत नहीं देंगे। मुझे इस बारे में और कुछ कहने के लिए बाध्य न करें। यह बेहद अरुचिकर है। पीठ के जजों की ओर से इसपर आपत्ति जताए जाने के बावजूद नेदुम्पारा लगातार बोलते रहे और उनकी आवाज तेज भी हो गई। इसपर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, मुझपर चिल्लाइये मत। आप याचिका देना चाहते हैं तो याचिका दायर कीजिए। चीफ जस्टिस के रूप में आप मेरा फैसला सुन चुके हैं। हम आपको नहीं सुन रहे हैं। यदि आप अपील करना चाहते हैं तो ईमेल करिये। यही इस कोर्ट का नियम है। नेदुम्पारा इसके बाद भी नहीं रुके तो पीठ के एक अन्य जज जस्टिस बीआर गवई ने कहा, आप न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं। क्या आपको मानहानि का नोटिस चाहिए।