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चीन से सटे पूर्वोत्तर में भी सेना करेगी बड़ा युद्धाभ्यास, सुरक्षा कारणों से रहेगा आसमान खाली

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा से सटे पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारतीय सेना जल्द ही व्यापक पैमाने पर युद्धाभ्यास करने जा रही है। यह अभ्यास आने वाले दिनों में आयोजित होगा, जिसमें थलसेना के साथ वायुसेना भी भाग लेगी। सुरक्षा कारणों से इस दौरान सीमावर्ती इलाकों के ऊपर हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) को अस्थायी रूप से खाली रखा जाएगा।

सेना सूत्रों के अनुसार, यह सैन्य अभ्यास वास्तविक युद्ध स्थितियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैनिकों की युद्ध तैयारी, आपसी समन्वय और तेज़ प्रतिक्रिया क्षमता को परखना है। अभ्यास में अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों, निगरानी ड्रोन और वायु सहायता के समन्वय का विशेष प्रदर्शन किया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक, यह युद्धाभ्यास अरुणाचल प्रदेश और असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में आयोजित किया जाएगा। इसमें पूर्वी कमान के साथ-साथ भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर और परिवहन विमानों की भी भागीदारी रहेगी। अभ्यास के दौरान वायु क्षेत्र को आम विमानों के लिए अस्थायी रूप से प्रतिबंधित किया जाएगा, ताकि सैन्य अभियानों में कोई व्यवधान न आए।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह नियमित प्रशिक्षण का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सैनिकों की क्षमता और तैयारियों को मजबूत करना है। हालांकि, चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हाल के वर्षों में बढ़ी सतर्कता को देखते हुए इस अभ्यास को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “भारत की रक्षा नीति ‘शांति के साथ सतर्कता’ पर आधारित है। ऐसे अभ्यास न केवल सैनिकों को वास्तविक परिस्थितियों के लिए तैयार करते हैं, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में हमारी तत्परता का भी संकेत देते हैं।”

इससे पहले इसी वर्ष लद्दाख सेक्टर में भी भारतीय सेना ने उच्च ऊंचाई पर युद्धाभ्यास किया था, जिसमें थलसेना, वायुसेना और विशेष बलों ने संयुक्त रूप से भाग लिया था।

विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्वोत्तर में होने वाला यह अभ्यास भारत की सामरिक तैयारी और पूर्वी सीमाओं पर निगरानी तंत्र को और मजबूत करेगा।

 

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