इस्लामाबाद/नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर भारत द्वारा शुरू की गई नई जलविद्युत परियोजनाओं (Hydroelectric Projects) ने पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। पाकिस्तानी संसद में एक महिला सांसद ने भारत के इन कदमों को ‘वाटर वॉरफेयर’ (जल युद्ध) करार देते हुए आरोप लगाया है कि भारत पानी को एक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है, जिससे पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था को गंभीर खतरा हो सकता है।
पाकिस्तानी सांसद की ‘तिलमिलाहट’ के मुख्य बिंदु
सदन में चर्चा के दौरान पाकिस्तानी सांसद ने भारत पर सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के उल्लंघन का आरोप लगाया। उनके संबोधन के मुख्य अंश निम्नलिखित रहे:
- पानी को हथियार बनाना: सांसद ने दावा किया कि भारत चिनाब नदी पर बांध बनाकर पानी के बहाव को नियंत्रित करना चाहता है, ताकि जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान की ओर पानी रोका जा सके।
- कृषि पर संकट: उन्होंने चेतावनी दी कि यदि चिनाब का पानी कम होता है, तो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की उपजाऊ जमीन बंजर हो जाएगी।
- अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग: सांसद ने पाकिस्तान सरकार से इस मामले को वैश्विक मंचों और सिंधु जल आयोग (Indus Water Commission) में और अधिक आक्रामकता से उठाने की अपील की।
भारत का पक्ष: “संधि के दायरे में है विकास”
भारतीय विदेश मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि भारत की सभी परियोजनाएं 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) के प्रावधानों के पूरी तरह अनुकूल हैं।
- रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट: भारत चिनाब पर जो प्रोजेक्ट्स (जैसे किरू, रतले और क्वार) बना रहा है, वे ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ तकनीक पर आधारित हैं। इनमें पानी को रोका नहीं जाता, बल्कि बहाव का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जाता है।
- विकास का अधिकार: भारत का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को बिजली और विकास की जरूरत है, और संधि भारत को पश्चिमी नदियों के पानी का सीमित उपयोग करने की अनुमति देती है।
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) का गणित
1960 में हुई इस संधि के तहत नदियों का बंटवारा कुछ इस प्रकार है: | नदी का नाम | नियंत्रण/अधिकार | मुख्य उपयोग | पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज) | भारत | पूर्ण उपयोग का अधिकार | | पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब) | पाकिस्तान | भारत को बिजली बनाने और सिंचाई के लिए सीमित उपयोग की अनुमति |
बढ़ता तनाव
हाल के महीनों में भारत ने सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस भी जारी किया है, क्योंकि पाकिस्तान लगातार भारत की परियोजनाओं में अड़ंगा लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग करता रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह विरोध तकनीकी से ज्यादा राजनीतिक है, जिसका उद्देश्य घरेलू जनता का ध्यान भटकाना है।





