देहरादून। राज्य में निवेश बढ़ाने के नाम पर चलाई गई चार महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। आंकड़ों के अनुसार, 659 निवेशकों ने इन योजनाओं में कुल 248 करोड़ रुपये का निवेश किया, लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी एक भी परियोजना धरातल पर नहीं उतर सकी। निवेशकों का पैसा भी फंसा रह गया है, जिससे उनमें गहरी नाराजगी और अविश्वास का माहौल बन गया है।
जानकारी के अनुसार, इन परियोजनाओं को उच्च स्तर पर स्वीकृति प्रदान की गई थी और निवेशकों को आकर्षक रिटर्न का भरोसा दिलाया गया था। कई निवेशकों ने अपनी जीवन भर की जमा पूंजी तक इन योजनाओं में लगा दी। बावजूद इसके काम समय पर शुरू नहीं हुआ, न ही प्रोजेक्ट से जुड़े बुनियादी ढांचे का निर्माण आगे बढ़ पाया।
निवेशकों का कहना है कि उन्हें शुरुआत में बार-बार अपडेट दिए जाते रहे, लेकिन धीरे-धीरे सूचनाएं मिलना बंद हो गईं और अब स्थिति यह है कि न तो काम की कोई स्पष्ट योजना सामने है और न ही धन वापसी की कोई प्रक्रिया। कई ने आरोप लगाए हैं कि जिम्मेदार अधिकारी और प्रोजेक्ट प्रबंधन जवाबदेही से बचते हुए एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं।
मामला अब शासन के संज्ञान में आ चुका है। सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तरीय जांच की तैयारी है और परियोजनाओं व निवेश से जुड़े दस्तावेजों की समीक्षा की जा रही है। यदि लापरवाही या धोखाधड़ी की पुष्टि होती है, तो संबंधित एजेंसियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
वहीं निवेशकों ने मांग की है कि राज्य सरकार उनकी पूंजी सुरक्षित लौटाने की गारंटी दे और दोषियों को कठोर दंड दिया जाए। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल आम निवेशकों के भरोसे को तोड़ती हैं बल्कि राज्य के निवेश माहौल को भी प्रभावित करती हैं।
फिलहाल, सभी की निगाहें जांच रिपोर्ट और सरकार की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं, ताकि सच सामने आए और निवेशकों को न्याय मिल सके।





