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चारधामों के कपाट बंद होने के बाद भी रौनक नहीं थमेगी, शीतकालीन यात्रा को लेकर तैयारियां शुरू

देहरादून।
चारधाम यात्रा के समापन के बाद भी उत्तराखंड का पर्यटन पहिया थमने वाला नहीं है। प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग ने अब ‘शीतकालीन यात्रा’ (विंटर टूरिज्म सर्किट) को गति देने की तैयारी शुरू कर दी है, ताकि श्रद्धालु और पर्यटक सर्दियों के महीनों में भी देवभूमि की आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकें।

चारधामों के कपाट क्रमशः अक्टूबर-नवंबर में बंद होने लगते हैं, जिसके बाद पारंपरिक रूप से चारधाम यात्रा का समापन माना जाता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों से सरकार और स्थानीय प्रशासन ने यह रणनीति अपनाई है कि सर्दियों में भी धार्मिक पर्यटन को जीवित रखा जाए। इसके तहत शीतकालीन गद्दी स्थलों को आकर्षण का केंद्र बनाया जा रहा है।

पर्यटन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों के कपाट बंद होने के बाद, श्रद्धालु इन धामों के शीतकालीन पड़ावों – पांडुकेश्वर (बदरीनाथ), ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ (केदारनाथ), मुखबा (गंगोत्री) और खरसाली (यमुनोत्री) – में दर्शन कर सकेंगे। इन स्थलों को धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ सांस्कृतिक और लोक परंपराओं से जोड़कर प्रस्तुत किया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि इस बार शीतकालीन यात्रा को व्यवस्थित और आकर्षक बनाने के लिए विशेष थीम आधारित कार्यक्रमों, स्थानीय मेले, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और लोक व्यंजन महोत्सवों की योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा सड़क, आवास और परिवहन सुविधाओं को बेहतर करने के निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि पर्यटकों को किसी तरह की असुविधा न हो।

पर्यटन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि “चारधाम केवल छह महीने की यात्रा तक सीमित न रहे, बल्कि शेष छह महीने शीतकालीन यात्रा के रूप में धार्मिक पर्यटन को नया आयाम मिले।” इसके साथ ही यह पहल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय के नए अवसर भी पैदा करेगी।

पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि शीतकालीन यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से भी राज्य के लिए लाभदायक साबित होगी। इससे स्थानीय हस्तशिल्प, लोककला, भोजन और संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।

जानकार बताते हैं कि पिछले सालों की तुलना में इस बार शीतकालीन यात्रा को लेकर ज्यादा उम्मीदें हैं, क्योंकि सरकार ने पहले ही प्रचार-प्रसार अभियान शुरू कर दिया है और सोशल मीडिया के माध्यम से देश-विदेश के यात्रियों को आमंत्रित किया जा रहा है।

संक्षेप में कहा जाए तो चारधामों के कपाट बंद होने के बाद भी देवभूमि उत्तराखंड का पर्यटन मौसम खत्म नहीं होगा, बल्कि शीतकालीन यात्रा के रूप में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जो श्रद्धालुओं और सैलानियों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।

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