नई दिल्ली।
भारत की सुरक्षा एजेंसियों को एक बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से फरार चल रहे कुख्यात गैंगस्टर वेंकटेश को जॉर्जिया और उसके सहयोगी भानु को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया है। दोनों पर देश में कई संगीन आपराधिक मामलों में संलिप्त होने का आरोप है। भारत सरकार ने दोनों अपराधियों के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, और उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही भारत लाया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, वेंकटेश और भानु दोनों पिछले कुछ वर्षों से भारत से फरार थे और विदेश में फर्जी पासपोर्ट और पहचान के सहारे रह रहे थे। इन पर हत्या, फिरौती, रंगदारी, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध हथियारों की तस्करी जैसे कई गंभीर मामले दर्ज हैं।
जॉर्जिया पुलिस ने इंटरपोल नोटिस के आधार पर वेंकटेश को राजधानी त्बिलिसी से गिरफ्तार किया। वहीं, अमेरिकी एजेंसियों ने भानु को कैलिफोर्निया में दबोचा। दोनों की गिरफ्तारी भारतीय जांच एजेंसियों – एनआईए और सीबीआई – के सहयोग से संभव हुई, जिन्होंने लंबे समय से इनकी लोकेशन ट्रैक की थी।
अधिकारियों के मुताबिक, वेंकटेश दक्षिण भारत के कई राज्यों में सक्रिय एक आपराधिक गिरोह का सरगना था। वह फिल्म इंडस्ट्री और रियल एस्टेट कारोबार में निवेश के जरिए काले धन को वैध करने की कोशिश कर रहा था। वहीं, उसका साथी भानु विदेश में बैठकर हवाला नेटवर्क और ड्रग तस्करी के जरिए गिरोह को आर्थिक मदद पहुंचाता था।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि दोनों अपराधियों के खिलाफ पहले से ही रेड कॉर्नर नोटिस जारी था। भारत ने सऊदी अरब, जॉर्जिया और अमेरिका के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में रहकर इनकी गिरफ्तारी की दिशा में काम किया। अब दोनों के प्रत्यर्पण की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और अगले कुछ हफ्तों में उन्हें भारत लाया जा सकता है।
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में दोनों से कई अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क और अवैध फंडिंग चैनलों के खुलासे की उम्मीद है। सुरक्षा एजेंसियां मान रही हैं कि इनके नेटवर्क से जुड़ी और भी कई बड़ी हस्तियां जांच के दायरे में आ सकती हैं।
अधिकारियों ने कहा कि यह गिरफ्तारी भारत की अंतरराष्ट्रीय अपराधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ का उदाहरण है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कई फरार अपराधियों को विदेशों से पकड़कर लाने में सफलता हासिल की है, जिनमें आर्थिक अपराधियों और अंडरवर्ल्ड सरगनाओं के नाम भी शामिल हैं।
वेंकटेश और भानु की गिरफ्तारी को सुरक्षा एजेंसियां अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क पर करारी चोट के रूप में देख रही हैं।





