महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर जोरदार हमला बोला और उन पर 2019 में भाजपा को धोखा देने का आरोप लगाया। शिंदे ने यह बयान विधान परिषद में विपक्ष के एक प्रस्ताव का जवाब देते हुए दिया, जिसमें उन्होंने उद्धव का नाम लिए बिना उन्हें आड़े हाथों लिया।
2019 गठबंधन विवाद को किया याद
शिंदे ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद जब भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था, उस वक्त देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को 40-50 बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा—
“महाराष्ट्र ने कभी गिरगिट को इतनी तेजी से रंग बदलते नहीं देखा।”
शिंदे का इशारा ठाकरे के कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने की ओर था—उन दलों के साथ जिनकी वे पहले कड़ी आलोचना करते थे।
‘फडणवीस को दिया धोखा’
एकनाथ शिंदे ने कहा,
“2017 में जब मुंबई निकाय चुनाव हुए, तब मेरे कहने पर फडणवीस ने मेयर पद शिवसेना को दे दिया, जबकि भाजपा को सिर्फ दो सीटें कम थीं। लेकिन 2019 में उद्धव ने गठबंधन से बाहर निकलकर उन्हें धोखा दिया।”
बगावत और सुलह की कोशिशों का दावा
शिंदे ने यह भी दावा किया कि 2022 में जब उन्होंने और उनके समर्थक विधायकों ने उद्धव के खिलाफ बगावत की, तब उद्धव ने उनसे संपर्क कर सुलह की कोशिश की थी, और साथ ही भाजपा नेतृत्व से कहा था कि “बागी समूह को समर्थन न दें।”
राजनीतिक संदर्भ
शिंदे की यह तीखी प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है, जब हाल ही में उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मुलाकात को लेकर राजनीतिक हलकों में सत्ता समीकरण बदलने की अटकलें लगाई जा रही थीं। इससे एक दिन पहले ही फडणवीस ने उद्धव को सत्ता पक्ष में आने के लिए व्यंग्यात्मक निमंत्रण भी दिया था।
निष्कर्ष
शिंदे का बयान न सिर्फ 2019 के घटनाक्रम को दोबारा जीवित करता है, बल्कि यह महाराष्ट्र की मौजूदा सियासत में संभावित समीकरणों पर भी विराम लगाने की कोशिश मानी जा रही है। राजनीति में दरवाजे खुले होते हैं, लेकिन शिंदे का यह तीखा हमला फिलहाल उन दरवाजों को बंद करता दिख रहा है