Thursday, March 20, 2025

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खानपान और सैर सपाटे में कम खर्चीले हैं उत्तराखंड के लोग

उपभोक्ता खर्च के मामले में उत्तराखंड के लोग कम खर्चीले हैं। खानपान और राज्य के भीतर सैर सपाटे के मामले में अच्छी मेजबानी के लिए पहचाने जाने वाले उत्तराखंड के लोग इन कामों में खुद उतने शौकीन नहीं हैं, जितने मिजोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश के लोग हैं। मासिक प्रतिव्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) के आंकड़े तो यही बता रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य और गैर खाद्य उपभोग पर राज्य के उपभोक्ता प्रतिमाह औसतन 5003 रुपये खर्च करते हैं, जबकि शहरी क्षेत्र में यह खर्च 7,486 रुपये है। विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में अर्थ एवं संख्या विभाग की ओर से सभी राज्यों के एपीएसई की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की गई है, जो आर्थिक सर्वेक्षण में प्रकाशित हुई है। उत्तराखंड एमपीसीई के मामले में राष्ट्रीय औसत से ऊपर है। 2023-24 के आंकड़ों के मुताबिक, देश के गांवों में प्रतिव्यक्ति 4122 रुपये खाद्य और गैर खाद्य उपभोग एवं सेवाओं पर खर्च कर रहा है और शहरी क्षेत्रों में यह खर्च 6996 रुपये होने का अनुमान है। इसकी तुलना में उत्तर-पूर्व के राज्य खर्च के मामले में दूसरे राज्यों से आगे हैं। यानी वहां लोग खानपान, सैरसपाटे व अन्य सेवाओं पर ज्यादा खर्च करते हैं।

सिक्किम देश में सबसे अधिक एमपीसीई वाला राज्य है। यहां गांवों में प्रति व्यक्ति हर महीने खान पान और अन्य सुविधाओं पर 9377 रुपये खर्च करता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में प्रतिव्यक्ति खर्च 13978 रुपये है।

सिक्किम के बाद चंडीगढ़, गोवा, अंडमान व निकोबार तथा पुडुचेरी हैं। उत्तराखंड के साथ बने दो राज्य छत्तीसगढ़ और झारखंड देश में सबसे कम मासिक प्रतिव्यक्ति खर्च वाले राज्य हैं। इन दोनों राज्यों में गांवों में औसतन तीन हजार रुपये से और शहरों में साढ़े पांच हजार रुपये से कम खर्च करते हैं।

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