Saturday, July 27, 2024

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क्यों रह-रह कर सुलगता है भारत-नेपाल सीमा विवाद

अभी दो दिन पहले ही नेपाल ने अपने देश के नए करेंसी नोट में छपे मैप पर भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपनी सीमा में दिखा कर सीमा विवाद के मुद्दे को हवा दे दी थी, लेकिन आज नेपाल के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने सफाई देते हुए कहा है कि, “काठमांडू बातचीत और कूटनीतिक रास्तों के जरिए विवाद सुलझाने के पक्ष में हैl” दरअसल ये मामला सामने आते ही विदेश मंत्रालय सक्रिय हुआ और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक कहा कि नेपाल के इस कदम से हालात नहीं बदलेंगे, ही जमीन पर सच्चाई बदल जाएगी l माना जा रहा है कि विदेश मंत्रालय के सख्त रवैये की वजह से ही नेपाल ने दो दिन पहले ही उठाये क़दम पर तेवर नरम कर लिए हैं 

 

       ऐसा नहीं है कि भारत और नेपाल के बीच ये सीमा विवाद पहली बार चर्चा में आया है l रहरह कर नेपाल इस मुद्दे पर सुर ऊँचे करता रहता है 

 

 

क्या और क्यों है ये सीमा विवाद 

        दरअसल ये विवाद 206 सालों से चला आरहा है l बात 1817 की है जब उत्तराखंड में गोरखा शासन का अंत हुआ l 18वीं शताब्दी के अंत में नेपाली साम्राज्य ने एकविस्तारअभियान के तहत उनका अंग्रेजों के साथ संघर्ष हुआ और परिणामस्वरूपएंग्लोनेपाली युद्धहुआ, जिसमें नेपाल पराजित हो गया  औरसुगौली संधिके तहत उसे भूमि के बड़ा क्षेत्र ब्रिटेन को सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे प्रभावी रूप से आधुनिक भारतनेपाल सीमा का निर्माण हुआ।इस संधि के तहत यह तय हुआ कि काली या महाकाली नदी के पार का पश्चमी हिस्सा भारत के पास रहेगाl कुछ सालों बाद ही अंग्रेजों ने संधि में मिले बडे भू भाग के हिस्से को नेपाल को लौटा दिया गया l 1947 में स्वतंत्रता के  तीन साल बाद भारत ने नेपाल के साथ एकमैत्री संधिपर हस्ताक्षर किए, जिसके अंतर्गत दोनों देश एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने पर सहमत हुए। भारत और नेपाल के बीच मुख्य रूप से कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को लेकर विवाद हैl 

 

        उत्तराखंड के कालापानी इलाके का क्षेत्रफल 372 वर्ग किलोमीटर है। इस इलाके पर ITBP का कंट्रोल है। नेपाल का आरोप है की भारत ने कालापानी महाकाली नदी का कृतिम उद्गम स्थल बनाकर उसके भूभाग को कब्ज़े में किया है l साथ ही उसका ये भी दावा है कि महाकाली की मूल धारा कुटीयांगती नदी है l 1980 में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत सरकार ने एक कमेटी बनाई थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला। इसके बाद 1997 में भारत और नेपाल ने एक संयुक्त टीम को विवादित स्थान पर भेजा लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला l 2020 में नेपाल ने अपने नक्शे में कालापानी, लिपुलेख दर्रे और लिंपियाधूरा को शामिल किया, इसके बाद ये विवाद चरम पर पहुंच गया।  

       दरअसल भारत ने 2019 में अपना नया नक्शा जारी किया था जिसमें कालापानी को भारत का क्षेत्र दिखाया गया थाl इसकी प्रतिक्रिया में नेपाल ने भी अपना एक नक्शा जारी कर कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया था l साल 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उद्घाटन किया था। इस पर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी अब एक बार भी फिर नई करेंसी नोट पर विवादित हिस्से को शामिल कर नेपाल ने मुद्दे को गरमा दिया है   

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